आगरा: अपनी ईमानदारी, कर्मठता, सादगी और सदाशयता से विशिष्ट छाप छोड़ने वाले प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह ने आज शहर में पुराने दिनों की यादें ताजा कीं। वे अपने मित्रों से मिले और दिवंगत पत्रकारों के निवास पर पहुँच कर शोक-संवेदना भी व्यक्त की।
शास्त्रीपुरम में उन्होंने दिवंगत पत्रकार ओमप्रकाश पाराशर की पत्नी अरुणा पाराशर और बड़े पुत्र सनी के साथ करीब पौन घण्टे का समय बिताकर शोक-सम्वेदनाओं को ताजा किया और अपनी आगरा पोस्टिंग के दौरान ओमप्रकाश पाराशर के साथ बिताए पलों को याद किया। इस दौरान वरिष्ठ पत्रकारद्वय डॉ. गिरजाशंकर और संजय तिवारी भी मौजूद रहे। सादगी की प्रतिमूर्ति सुलखान सिंह की सह्रदयता से पाराशर परिवार कृतज्ञ नजर आया।
पूर्व डीजीपी दिवंगत पत्रकार उपेंद्र शर्मा और ब्रजेन्द्र पटेल के निवास पर भी पहुंच कर परिवारीजनों से शोक-संवेदना व्यक्त की। गौरतलब है कि तीनों वरिष्ठ पत्रकारों का पिछले डेढ़ साल के भीतर निधन हो गया।
सुलखान सिंह को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जन्माष्टमी पर वृंदावन के बांकेबिहारी मन्दिर में हुए हादसे की जांच टीम का प्रमुख बनाया है। पूर्व डीजीपी अपने सादगी भरे अंदाज में हादसे के चौथे दिन ही वृन्दावन पहुंच गए थे। अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने बताया कि जांच अभी जारी है और वे शनिवार को पुनः मथुरा-वृंदावन जा सकते हैं। उन्होंने कहाकि मुख्यमंत्री ने पन्द्रह दिन के भीतर जांच रिपोर्ट मांगी है और उनकी कोशिश है कि इसी समय सीमा में वे रिपोर्ट सरकार को सौंप दें।
यह भी बताते चलें कि सेवानिवृत्ति के बाद लखनऊ में निवास कर रहे सुलखान सिंह आगरा की सांसों में बसते हैं। वे यहां वर्ष 1987 के अंत में एसपी सिटी बनकर आए थे। दो जोड़ी कपड़ों में चलने वाले सुलखान सिंह बहुत ही साधारण तरीके से रहते थे, लेकिन खासियत यह थी, उनके चार्ज लेने के बाद आगरा का माहौल ही बदल गया।
उनके कार्यकाल में स्वीटी कांड काफी चर्चित हुआ था। उस समय कांग्रेस की सरकार थी। कमला नगर की युवती स्वीटी का पूरे शहर में हल्ला था। स्वीटी की जुगाड़ पुलिस प्रशासन से लेकर राजनीतिक लोगों तक थी। उसके संबंध राजधानी तक थे। सबको अपने इशारों पर नचाने वाली स्वीटी की सुलखान सिंह ने गिरफ्तारी की, वो भी बिना एसएसपी और डीआईजी को बताए। हालांकि राजनीतिक दबाव बहुत अधिक था, लेकिन निर्भीक, निडर एसपी सिटी सुलखान सिंह के आगे किसी की नहीं चली।
सुलखान सिंह आगरा में पहले ऐसे एसपी सिटी रहे, जिन्होंने कई जनहित के कार्य करके जनता के दिल में जगह बनाई। सुलखान सिंह की कार्यशैली से जनता इतनी प्रभावित थी कि जब वर्ष 1989 के अंत में उनका तबादला मेरठ हुआ, तो लोगों को दुःख हुआ। लोग चाहते थे कि वे आगरा में रुकें। वे पहले ऐसे अधिकारी रहे, जिन्हें जनता ने चौराहों पर रोक-रोक कर विदाई दी।
-up18news
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