“आज मेरी शादी की रात, मेरे बेडरूम और दूसरे कमरे में बहुत सारी किताबें पड़ी हैं. ये वो किताबें हैं जो मैंने हक़ मेहर (वो निर्धारित राशी जो मुस्लिम मर्द अपने निकाह के बदले में अपनी पत्नी को देता है या देने का वादा करता है) में अपने पति से मांगी थीं.”
”कुछ हमने ऊपर अलमारियों में रख दी हैं लेकिन बहुत सारी अभी भी पेटियों में बंद पड़ी हुई हैं. मैं शादी की रस्मों को पूरा करने के बाद इन किताबों को ठीक तरह से रखूंगी.”
पिछले साल 14 मार्च को ख़ैबर पख़्तूनख़्वा के मर्दान जिले में शादी करने वाली दुल्हन नायला शुमाल साफ़ी ने बताया कि जब निकाहनामा (विवाह प्रमाणपत्र) उनके सामने रखा गया था और उनसे पूछा गया कि हक़ मेहर में क्या और कितना चाहिए. तब उन्होंने हक़ मेहर में एक लाख पाकिस्तानी रुपए की किताबें मांगी.
“मुझे दस से पंद्रह मिनट का समय दिया गया कि सोच लो फिर बताना. मैंने इसके बारे में सोचा और इससे अच्छा कोई हक़ मेहर दिमाग़ में नहीं आया.”
नायला शुमाल साफी चरसड्डा के तंगी इलाक़े की निवासी हैं जबकि उनके पति डॉक्टर सज्जाद ज़ोनदून मर्दान के भाई ख़ान इलाक़े के निवासी हैं. सज्जाद ज़ोनदून ने पश्तो में अपनी पीएचडी पूरी कर ली है जबकि नायला शुमाल साफी इस समय अपनी पीएचडी कर रही हैं.
डॉक्टर सज्जाद ज़ोनदून ने कहा कि जब उन्होंने अपनी मंगेतर के हक़ मेहर के बारे में सुना तो उन्हें ख़ुशी हुई कि इससे हक़ मेहर में बहुत ज़्यादा रक़म मांगने की प्रथा ख़त्म हो जाएगी.
इस नए जोड़े के निकाहनामे (विवाह प्रमाण पत्र) में मेहर की रक़म के सामने बॉक्स में लिखा है कि वर्तमान में पाकिस्तान में प्रचलित एक लाख रुपये की किताबें. किसी निकाहनामे में शायद ही ऐसा कोई उल्लेख हो.
सज्जाद ज़ोनदून के अनुसार ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में लड़के वालों से हक़ मेहर में अक्सर 10 से 20 लाख रुपये मांगे जाते हैं. और दहेज में कई तरह की डिमांड की जाती हैं. इस जोड़े के अनुसार किसी को तो इन परंपराओं को समाप्त करने की पहल करनी होगी इसलिए ये शुरुआत उन्होंने कर दी.
“समाज में प्रचलित रस्मों और परंपराओं के ख़िलाफ़ जब पहला क़दम उठाया जाता है तो निश्चित रूप से उनकी आलोचना की जाती है लेकिन हमारे इस काम को अभी तक सभी ने सराहा है, और मैं समझता हूँ कि दुनिया अब बहुत आगे जा चुकी है इसलिए हमें भी आगे बढ़ना चाहिए.”
नायला शुमाल साफ़ी के अनुसार उन्होंने ज़ोनदून के साथ साथ किताबों से भी रिश्ता जोड़ लिया है. यह पूछे जाने पर कि क्या इस हक़ मेहर के बारे में उनकी सहेलियों या रिश्तेदारों ने कुछ कहा?
नायला शुमाल ने जवाब दिया, “सभी ने हमारे क़दम की सराहना की है. आज हमारे वलीमे की दावत थी, मेरे माता-पिता सहित सभी रिश्तेदार आए और सभी लोग ख़ुश थे.
शादी के निमंत्रण पर दुल्हन का नाम और फ़ोटो
ख़ैबर पख़्तूनख़्वा सहित पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के कई हिस्सों में शादी के निमंत्रण पर केवल दूल्हे का नाम और दुल्हन के पिता का नाम लिखा जाता है. डॉक्टर सज्जाद ज़ोनदून ने अपनी शादी के निमंत्रण पर न केवल दुल्हन का नाम लिखा था, बल्कि निमंत्रण पर दोनों की तस्वीरें भी लगी हुई थीं.
निमंत्रण पर इन तस्वीरों में, यहां तक कि दुल्हन की तस्वीर थोड़ी बड़ी भी दिखाई दे रही है. “पति पत्नी की सहमति से विवाह होता है और ऐसा बिलकुल नहीं है कि पत्नी पति की संपत्ति होती है.”
इमरान आशना डॉक्टर सज्जाद ज़ोनदून के क़रीबी दोस्त हैं और वो उनकी शादी में भी गए थे. उन्होंने कहा कि इस शादी ने एक बार फिर इस धारणा को दूर कर दिया कि किताबों को चाहने वाले नहीं हैं. “इससे यह संदेश भी जाता है कि किताबों के लिए अभी भी प्यार है और यह प्यार ख़त्म नहीं हुआ है.”
सोशल मीडिया पर कई पाठकों ने ख़ैबर पख़्तूनख़्वा के इस दंपति के हक़ मेहर पर उठाये गए इस कदम को सरहाया है. डॉक्टर सज्जाद ज़ोनदून के अनुसार जहाँ कई लोग एक अच्छे काम की सराहना करते हैं, वहाँ विरोधी भी होंगे लेकिन अभी तक किसी ने भी उनके इस कदम का विरोध नहीं किया है.
-BBC
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