उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के चार सदस्यों को दो समुदायों के बीच मनमुटाव को बढ़ावा देने सहित अन्य अपराधों के लिए राज्य में उनके खिलाफ दर्ज दो प्राथमिकियों के संबंध में सोमवार तक किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान की।
एफआईआर रद्द कराने की मांग
मणिपुर सरकार ने चार सितंबर को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) के सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इसी को लेकर एडिटर्स गिल्ड ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। ईजीआई ने अपने सदस्यों के खिलाफ दर्ज कराई गई एफआईआर रद्द कराने की मांग की थी। अब शीर्ष अदालत ने सोमवार तक के लिए राहत दी है।
अब 11 को होगी सुनवाई
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने एडिटर्स गिल्ड द्वारा दायर याचिका पर राज्य सरकार से जवाब भी मांगा और मामले में सुनवाई की तारीख 11 सितंबर तय की। इससे पहले, शीर्ष अदालत खुद ही याचिका पर आज सुनवाई करने के लिए सहमत हुई।
चार सितंबर को कराया था केस दर्ज
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने चार सितंबर को कहा था कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और तीन सदस्यों के खिलाफ एक शिकायत के आधार पर पुलिस में मामला दर्ज किया गया है और उन पर राज्य में हिंसा भड़काने की कोशिश के आरोप हैं। मानहानि के अतिरिक्त आरोप के साथ गिल्ड के चार सदस्यों के खिलाफ दूसरी प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी।
यह है विवाद
बता दें कि हाल ही में एडिटर्स गिल्ड ने दावा किया था कि मणिपुर की जातीय हिंसा पर एक पक्षीय मीडिया रिपोर्टिंग हुई है। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री पर पक्षपात करने का भी आरोप लगाया। एडिटर्स गिल्ड के जिन सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, उनमें एडिटर्स गिल्ड की अध्यक्ष सीमा मुस्तफा और तीन सदस्य सीमा गुहा, भारत भूषण और संजय कपूर का नाम शामिल है। सीमा गुहा, भारत भूषण और संजय कपूर ने बीते हफ्ते मणिपुर का दौरा कर यहां हुई मीडिया रिपोर्टिंग का अध्ययन किया था।
एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों की रिपोर्ट को मणिपुर सरकार ने फर्जी और स्पॉन्सर बताया है। एफआईआर में बताया गया है कि रिपोर्ट में गलत तथ्य बताए गए हैं। जुलाई में भी मणिपुर सरकार ने तीन महिलाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इन महिलाओं की फैक्ट फाइंडिंग टीम ने भी राज्य में जारी हिंसा को सरकार द्वारा स्पॉन्सर बताया था।
सीएम बोले, जमीनी हकीकत देखें
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा था कि ‘मैंने एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों को चेतावनी भी दी है कि अगर वह कुछ करना चाहते हैं तो पहले हिंसाग्रस्त जगहों का दौरा करें और जमीनी हकीकत देखें। सभी समुदायों के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात करें और उसके बाद कोई रिपोर्ट बनाएं। सिर्फ कुछ वर्ग के लोगों से मिलकर किसी परिणाम पर पहुंचना निंदनीय है। राज्य सरकार ने एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है, जो राज्य में हिंसा भड़काने की कोशिश कर रहे हैं।
पीसीआई ने FIR वापस लेने की मांग की थी
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने सोमवार को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की तथ्यान्वेषी समिति के तीन सदस्यों और उसके प्रमुख के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की निंदा की थी।
पीसीआई ने कहा था कि यह राज्य में शांति बहाल करने के लिए कदम उठाने के बजाय संदेशवाहक को गोली मारने का मामला है। उन्होंने कहा था कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) की अध्यक्ष सीमा मुस्तफा और तीन सदस्यों के खिलाफ एफआईआर तुरंत वापस ली जाए।
Compiled: up18 News
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