द्रौपदी मुर्मू ने भारत की 15वें राष्ट्रपति के रूप में सोमवार को शपथ ले ली. द्रौपदी मुर्मू को सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस एनवी रमन्ना ने शपथ दिलाई. मुर्मू भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं और पहली आदिवासी राष्ट्रपति.
शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन नई दिल्ली में संसद के सेंट्रल हॉल में किया गया था. द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति बनने से पहले झारखंड की राज्यपाल और ओडिशा में मंत्री रही थीं.
मुर्मू के ख़िलाफ़ विपक्ष ने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया था. द्रौपदी मुर्मू को कुल वैध मतों में 64 फ़ीसदी मिला था. 21 जुलाई को मतगणना हुई थी.
शपथ लेने के बाद द्रौपदी मुर्मू का पहला ट्वीट
देश की 15वीं राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने के बाद द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि उनका चुनाव इस बात का सबूत है कि भारत में ग़रीब बड़ा सपना देख सकते हैं और उसे पूरा भी कर सकते हैं.
द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति बनने के बाद आधिकारिक ट्विटर हैंडल से सबसे पहले ट्वीट में समस्त देशवासियों को आभार व्यक्त किया है. उन्होंने कहा, “मुझे राष्ट्रपति के रूप में देश ने एक ऐसे महत्वपूर्ण कालखंड में चुना है जब हम अपनी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं. आज से कुछ दिन बाद ही देश अपनी स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे करेगा.”
उन्होंने कहा, “मैं देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति भी हूँ जिसका जन्म आज़ाद भारत में हुआ है.”
राष्ट्रपति ने कहा, “मैंने अपनी जीवन यात्रा ओडिशा के एक छोटे से आदिवासी गाँव से शुरू की थी. मैं जिस पृष्ठभूमि से आती हूँ, वहां मेरे लिए प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना भी एक सपने जैसा ही था. लेकिन अनेक बाधाओं के बावजूद मेरा संकल्प दृढ़ रहा और मैं कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली बेटी बनी.”
पार्षद से राष्ट्रपति पद तक के सफर के बारे में ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा, “ये हमारे लोकतंत्र की ही शक्ति है कि उसमें एक ग़रीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर-सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुँच सकती है. राष्ट्रपति के पद तक पहुँचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत के प्रत्येक ग़रीब की उपलब्धि है.”
राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने कहा, “मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में ग़रीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है. मेरे इस निर्वाचन में देश के ग़रीब का आशीर्वाद शामिल है, देश की करोड़ों महिलाओं और बेटियों के सपनों और सामर्थ्य की झलक है. देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद से लेकर श्री राम नाथ कोविन्द जी तक, अनेक विभूतियों ने इस पद को सुशोभित किया है. इस पद के साथ साथ देश ने इस महान परंपरा के प्रतिनिधित्व का दायित्व भी मुझे सौंपा है.”
अपने भाषण के आख़िर में राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, “जगत कल्याण की भावना के साथ मैं आप सबके विश्वास पर खरा उतरने के लिए पूरी निष्ठा व लगन से काम करने के लिए सदैव तत्पर रहूँगी. अर्थात, अपने जीवन के हित-अहित से बड़ा जगत कल्याण के लिए कार्य करना होता है.”
संथाल जनजाति का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा, “संथाल क्रांति, पाइका क्रांति से लेकर कोल क्रांति और भील क्रांति ने स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी योगदान को और सशक्त किया था. सामाजिक उत्थान एवं देश-प्रेम के लिए ‘धरती आबा’ भगवान बिरसा मुंडा जी के बलिदान से हमें प्रेरणा मिली थी.” राष्ट्रपति मुर्मू संथाल जनजाति से ही आती हैं.
-एजेंसी