डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार गिरता जा रहा है लेकिन मोदी सरकार केवल मुद्दों से भटकाने के लिए नित नए-नए शिगूफे छोड़ रही है
देश गहरे आर्थिक संकट में घिर चुका है, आज आरबीआई ने एक बार फिर रेपो रेट में बढ़ोतरी की है ऐसा करना भी इस निष्कर्ष की पुष्टि कर रहा है दरअसल इस निष्कर्ष तक पुहंचने की तीन बड़ी ठोस वजहे है जो एक दूसरे से जुड़ी हुई है …….यह एक अलार्मिंग सिचुएशन है जिसे आज ठीक से समझना बेहद जरूरी है
– पहली वजह है चालू खाते के घाटे का अप्रत्याशित रूप से बढ़ना
– दूसरी वजह है देश के विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से कमी आना ओर
– तीसरी है डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत गिरना
आइये विस्तार से एक बार समझते है कि इस वक्त हो क्या रहा है …
कल एक बड़ी खबर आयी कि देश का चालू खाते का घाटा यानि करंट अकॉउंट डेफिसिट बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है,रिजर्व बैंक ने बताया कि चालू खाता घाटा में यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से व्यापार घाटा बढ़ने के कारण हुई है, आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से अगस्त के बीच देश का व्यापार घाटा बढ़कर 124.52 अरब डॉलर हो चुका है, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 53.78 अरब डॉलर था…..
यह बड़ी खतरनाक परिस्थितियों का संकेत है दरअसल वस्तुओं और सेवाओं का आयात अगर इनके निर्यात से ज्यादा होता है, तो उसे चालू खाते का घाटा कहते हैं। विदेश में रहने वाले भारतीय जो पैसे स्वदेश भेजते हैं, उसे भी इसमें जोड़ा जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो विदेशी मुद्रा के खर्च और इसकी कमाई में अंतर को चालू खाते का घाटा कहते है….
यानि कमाई कम और खर्चा दोगुने से भी अधिक यही हालत रहे तो देश का चालू खाते का घाटा आने वाले महीनों में सकल घरेलू उत्पादन, जीडीपी के पाँच फीसदी तक पहुँच सकता है। जबकि अभी तक हम इसे ढाई प्रतिशत तक ही रखते आए हैं…..
अगर घाटा हो रहा है तो हमे इस घाटे की भरपाई करनी ही होती है। चालू खाते के घाटे से विदेशी मुद्रा भंडार पर गहरा असर पड़ता है और यही है दूसरी वजह यानि विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से कमी आना
जेफरीज कह रही है कि भारत को अपने विदेशी मुद्रा भंडार पर नजर बनाए रखने की जरूरत है।अगस्त के महीने में विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी कमी देखने को मिली है। डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी से निपटने के लिए आरबीआई ने बड़ी मात्रा में डॉलर बेचे हैं
आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारा विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घट रहा है आज देश का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले दो साल के सबसे न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया हैं,
2 सितंबर 2022 को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 553.105 बिलियन डॉलर हो गया जो ठीक एक साल पहले 3 सितम्बर 2021 को 642.45 बिलियन डॉलर था
अब आते है तीसरी बात पर जो है “डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत गिरना”…..जाहिर है कि डालर के मुकाबले गिरते रुपए को संभालने में भी आरबीआई को काफी सारा पैसा उतारना पड़ता है। आरबीआई को डॉलर बेचकर रुपये को संभालना पड़ा है
रुपया लगातार डॉलर की तुलना में लुढ़कते जानें से डॉलर मजबूत हो रहा है और बॉन्ड यील्ड में भी उछाल आ रहा है. यील्ड बढ़ने से विदेशी निवेशकों के सेंटिमेंट पर नकारात्मक असर देखा जा रहा है. वे भारत से पैसा निकाल रहे हैं इसका असर मार्केट पर दिख रहा है शेयर मार्केट में पिछले 6 सत्र में निवशकों के 12 लाख करोड़ रुपये से अधिक डूब चुके हैं
साफ़ है कि इकनॉमी के मोर्चे पर दिन ब दिन परिस्थितियां बद से बद्तर होती जा रही है और हमारी सरकार और हमारा मीडिया पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का ढोल पीटने में व्यस्त हैं…..
साभार- गिरीश मालवीय जी