भारतीय प्रशासनिक स्टाफ कॉलेज हैदराबाद से दिल्ली एमसीडी द्वारा कराए गए ऑडिट में चौकाने वाला खुलासा किया है. ऑडिट के अनुसार दिल्ली के लोग में हर रोज 1.25 करोड़ से ज्यादा का लोहा और ई-वेस्ट कूड़े में फेंक देते हैं. ऑडिट में खुलासा हुआ है कि दिल्ली में रोजाना 11 हजार मैट्रिर टन कूड़ा निकलता है.
दरअसल दिल्ली नगर निगम ( एमसीडी ) ने भारतीय प्रशासनिक स्टाफ कॉलेज (एएससीआई) हैदराबाद से एक ऑडिट कराया है. ऑडिट की जांच में खुलासा हुआ है कि दिल्ली के लोग रोजाना अपने घरों से कूड़े में 1.25 करोड़ रुपये से अधिक का लोहा और इलैक्ट्रोनिक वेस्ट फेंक देते हैं. ऑडिट के तहत दिल्ली में कूड़ा बीनने वाले लोग हर रोज 10 फीसदी कूड़ा अलग करके अपनी रोजी रोटी चला रहे हैं.
50 किलो कूड़ा बीनने पर मिलते हैं 2 से 3 सौ रूपये
कूड़ा बीनने वालों को ठेकेदार 1500 से 2 हजार रुपये महीने देते हैं, इसके अलावा ये लोग करीब 50 किलो कूड़ा बीनकर 200 से 300 रुपये प्रतिदिन कमाते हैं. सड़कों से कूड़ा बीनकर भी 100 रुपये प्रतिदिन की कमाई हो जाती है. वहीं एमसीडी न तो इनका मेडिकल बीमा करवाती है और ना ही इन्हें पीपीई किट और मेडिकल की सुविधा दी जाती है.
हर रोज निकलता है 11 हजार मैट्रिक टन कूडा
ऑडिट के मुताबिक, दिल्ली में हर रोज तकरीबन 11 हजार मैट्रिक टन कूड़ा निकलता है. इसमें से 10 फीसदी यानी कि 1.10 लाख किलो कूड़ा ऐसा होता है जो कि रबर, प्लास्टिक, लोहे, ई-कचरे, लोहे और कागज के गत्तों का होता है. कबाड़े में प्लास्टिक की कीमत 12 रुपये किलो होती है, ऐसे में कूड़ा बीनने वाले लोग 1.32 करोड़ रुपये की प्लास्टिक बेच रहे हैं. लोहे और कागज को भी अगर इसमें मिला दिया जाए तो यह राशि 5 करोड़ रुपये से ज्यादा की भी हो सकती है.
ठेकेदारों की भी होती है अच्छी कमाई
ऑडिट के अनुसार, एक कॉलोनी में ढलाव पर करीब 3 से 4 कूड़ा बीनने वाले लोग होते हैं. इनके ऊपर एक ठेकेदार होता है. कूड़ा बीनने वाले कॉलोनी के कूड़े को ठेकेदार को बेचते हैं. जिससे वह औसतन 14 हजार रुपये हर महीने कमा लेते हैं, जबकि उनके ऊपर काम करने वाला ठेकेदार हर महीने 25 हजार रुपये से अधिक की कमाई कर लेता है.
– एजेंसी
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