नई दिल्ली। देश की बड़ी एयरलाइन स्पाइसजेट को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. दिल्ली हाई कोर्ट ने स्पाइसजेट की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मध्यस्थ न्यायाधिकरण (Arbitral Tribunal) के आदेश को बरकरार रखते हुए सिंगल जज के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी. जिसमें स्पाइसजेट को सन ग्रुप के प्रमोटर कलानिधि मारन को 270 करोड़ से ज्यादा पैसा वापस करने का निर्देश दिया गया था. दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक, अब कलानिधि मारन को 270 करोड़ रुपये लौटाने होंगे.
जस्टिस यशवंत वर्मा और जस्टिस धर्मेश शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि वह 13 फरवरी, 2023 के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मद्देनजर आदेश पर रोक नहीं लगा सकती.दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट की सिंगल जज की बेंच ने 31 जुलाई, 2023 को ट्रिब्यूनल द्वारा जारी एवार्ड को बरकरार रखा था.
सिंगल जज के फैसले के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने आज अंतरिम राहत आवेदन खारिज कर दिया, हालांकि कोर्ट ने अपील पर नोटिस जारी किया.आपको बता दें कि मध्यस्थ न्यायाधिकरण ने जुलाई 2018 में स्पाइसजेट को कलानिधि मारन को ₹270 करोड़ वापस करने का आदेश दिया था.
ट्रिब्यूनल ने एयरलाइन को वारंट के लिए भुगतान की गई राशि पर 12% प्रति वर्ष ब्याज का भुगतान करने और समय पर पैसा नहीं चुकाने पर मारन की दी गई राशि पर 18% प्रति वर्ष ब्याज देने का भी आदेश दिया.
ये है पूरा मामला
दिसंबर तिमाही में इनकम में करीब 4 गुना वृद्धि दर्ज करने वाली स्पाइसजेट के लिए यह आदेश किसी झटके से कम नहीं था. इसलिए अब उसने इस आदेश को चुनौती दी है. बता दें कि मारन और स्पाइसजेट के बीच विवाद 2015 से शुरू हुआ जब अजय सिंह ने मारन से स्पाइसजेट को वापस खरीद लिया.
मारन ने 2015 में एयरलाइन में अपनी 58.46% हिस्सेदारी अजय सिंह को दे दी थी. हालांकि, सौदे के अनुसार, मारन को एयरलाइन के प्रमोटर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उनके द्वारा निवेश किए गए पैसे के बदले में Redeemable Warrants मिलने थे. मारन 18 करोड़ वारंट प्राप्त करने के लिए उत्तरदायी थे, जिसका मतलब स्पाइसजेट में 26% हिस्सेदारी थी. लेकिन मारन को न अपने हिस्से का पैसा मिला, न Convertible Warrants ना ही Preference Shares.
इससे नाराज मारन ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसने मामले को मध्यस्थता के लिए भेज दिया. मारन का दावा था कि उन्हें 1300 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है. 2018 में, मध्यस्थ न्यायाधिकरण (Arbitral Tribunal) ने स्पाइसजेट को मारन को 270 करोड़ वापस करने का आदेश दिया.
इसके अलावा, ट्रिब्यूनल ने स्पाइसजेट को वारंट के लिए भुगतान की गई राशि पर 12% प्रति वर्ष और धन हस्तांतरण में देरी होने पर मारन को दी गई राशि पर 18% प्रति वर्ष की दर से ब्याज का भुगतान करने को भी कहा. हालांकि, ट्रिब्यूनल ने मारन और स्पाइसजेट-अजय सिंह के बीच हुए शेयर बिक्री और खरीद समझौते में किसी तरह का उल्लंघन नहीं पाया. ट्रिब्यूनल ने मारन की शेयरधारिता की वापसी की मांग और हर्जाने के दावे को खारिज कर दिया.
Compiled: up18 News
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