चक्रवाती तूफान: दो देश… दो तस्‍वीरें जो बताती हैं दोनों देशों की महातूफान जैसी आपदा से निपटने की कहानी

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पहले तस्वीरों के पीछे की कहानी जानते हैं। तूफान के आने से पहले ही दोनों देशों में तटीय इलाकों से लोगों को सुरक्षित जगहों पर निकाल लिया गया। उन्हें राहत कैंपों में रखा गया। गुजरात के शेल्टर होम्स में खुद एनडीआरएफ की टीम लोगों को भोजन के पैकेट बांटे। लोग आराम से बैठे हुए थे और रेस्क्यू टीम के लोग एक-एक करके उन्हें भोजन दे रहे हैं। इंसान तो इंसान, जानवरों तक के खाने-पीने और सलामती का खास ख्याल रखा गया। कुत्तों को खिलाने की तस्वीर गुजरात के कच्छ जिले की है।

दूसरी तरफ पाकिस्तान में तूफान की दस्तक से पहले अफरातफरी का आलम था। तस्वीर सिंध प्रांत के दक्षिणी जिले सुजावल के राहत कैंप की है। बारिश हो रही है, लेकिन कैंप के अंदर भोजन का इंतजाम नहीं है। बाहर बारिश के बीच भीगते हुए लोग हाथों में खाली बर्तन लिए लाइन में लगे हैं ताकि खाना पा सकें। एक और तस्वीर में वॉलंटियर के हाथ में खाने का एक पैकेट है और वह लोगों से घिरा हुआ है। एक साथ कई हाथ उस खाने की पैकेट को पाने की जद्दोजहद कर रहे हैं।

तूफान से पहले भारत और पाकिस्तान दोनों ने तटीय इलाकों से लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर शिफ्ट किया। गुजरात में जहां करीब एक लाख लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया तो उस पार सिंध में भी करीब 80000 लोगों को राहत कैंपों में शिफ्ट किया गया। बिपरजॉय बंगाली भाषा का शब्द है, जिसका मतलब है आपदा यानी विनाश। भारत में बिपरजॉय ने प्रचंड रूप में दस्तक दी और पाकिस्तान में तूफान काफी कमजोर रहा। इससे वहां तेज बारिश के अलावा कुछ खास असर नहीं पड़ा। एहतियात के तौर पर कराची में लोगों के खुले समंदर में जाने पर बैन लगा दिया गया था लेकिन वहां पहुंचते-पहुंचते तूफान इतना कमजोर हो गया था कि शुक्रवार को ही ये बैन हटा लिया गया।

बिपरजॉय बहुत ही खतरनाक चक्रवाती तूफान है लेकिन राहत की बात ये रही इससे भारत में किसी की जान नहीं गई। 23 लोग जख्मी हुए। हां, तूफान से पहले भावनगर में एक नाले में बह रही बकरियों को बचाने की कोशिश में दो लोगों की मौत जरूर हुई। अगर जिंदगियों को नुकसान नहीं पहुंचा तो इसकी वजह पुख्ता तैयारी थी। अतीत के अनुभवों से सीख और स्पेस साइंस में भारत की दिन दूनी-रात चौगुनी तरक्की ने बिपरजॉय को मात देने में मदद की। ठीक 25 साल पहले जून 1998 में जब गुजरात में तूफान आया था तो बहुत तबाही मचाया था। कांडला पोर्ट तकरीबन पूरी तरह तबाह हो चुका था। 10 हजार लोगों की मौत हुई थी।

बिपरजॉय भी बहुत खतरनाक था लेकिन इससे जिंदगियों और इन्फ्रास्ट्रक्चर को नाम मात्र का नुकसान पहुंचा। इसकी वजह ये है कि तूफान की सटीक भविष्यवाणी, ट्रैकिंग, कब कहां से किस रफ्तार से गुजरेगा इसके सही अनुमान ने तैयारियों को पुख्ता करने का मौका दिया।

समय रहते लोगों को सचेत कर दिया गया था, तटीय इलाकों से लोगों को सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट कर दिया गया था। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, मेडिकल इमर्जेंसी सर्विस से जुड़ी तमाम टीमें तैनात थीं। तूफान के बीच 1152 गर्भवती महिलाओं को अस्पतालों या शेल्टर होम पहुंचाया गया। 708 महिलाओं की सेफ डिलिवरी हुई। कुछ की सीजेरियन डिलिवरी हुई। बिजली तक नहीं थी। अंधेरा था लेकिन देवदूत बने डॉक्टरों ने कामयाबी से ऑपरेशन किया। इस बीच जानवरों तक का ख्याल रखा गया। सिर्फ वाइल्ड लाइफ इमर्जेंसी के लिए 200 से ज्यादा टीमें तैनात की गईं। अकेले गिर के जंगलों में 184 टीमें तैनात थीं।

150 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार से चली तेज हवा ने गुजरात में काफी तबाही मचाई। तमाम पेड़ उखड़ गए। घरों पर लगे टिन शेड ताश के पत्तों की तरह बिखर गए, उड़ गए। बिजली के खंभे धराशायी हो गए। हजारों गांव अंधेरे में डूब गए। कुछ जगहों पर सड़क टूटकर बह गई। सड़कों और हाईवेज पर टूटे और उखड़े पेड़ों ने रास्ते बंद कर दिए। करीब 600 पेड़ उखड़े हैं। 4600 से ज्यादा गांव अंधेरे में डूब गए। हालांकि, कुछ ही घंटों में 3580 गांवों में बिजली सप्लाई बहाल हो गई। फिर भी 1000 से अधिक गांव अभी बिना बिजली के हैं और वहां सप्लाई बहाल करने का काम युद्धस्तर पर जारी है।

झकाऊ पोर्ट पर जहां बिपरजॉय ने लैंडफॉल किया था वहां हर तरफ बर्बादी के निशां हैं। अकेले कच्छ जिले में करीब 80 हजार बिजली के खंभे गिर गए और 33 हजार हेक्टेयर खेत को नुकसान पहुंचा है। मोरबी में राजश्री नाम की महिला के ऊपर टिन शेड आकर गिर गया जिससे उसकी मौत हो गई। वडोदरा में तेज हवा से दीवार गिरने की वजह से एक व्यक्ति की मौत हो गई।

Compiled: up18 News


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