पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में तख्तापलट जैसे हालात बनते दिखाई दे रहे हैं। इमरान खान के समर्थक माने जा रहे वर्तमान चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल के खिलाफ न केवल पाकिस्तानी संसद ने कानून पारित कर दिया है, बल्कि उनके सहयोगियों ने भी मोर्चा खोल दिया है।
पाकिस्तान की संसद ने एक कानून पारित करके सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पास मौजूद स्वत: संज्ञान लेने की शक्तियों पर पाबंदी लगा दी। अब अकेले मुख्य न्यायाधीश किसी मुद्दे पर स्वत: संज्ञान नहीं ले पाएंगे। इस बिल को 28 मार्च को शहबाज सरकार ने मंजूरी दी थी। इस कानून से अब इमरान खान के जल्द चुनाव कराने के मिशन को बड़ा झटका लगा है।
दरअसल, पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने देश के पंजाब प्रांत में चुनाव को टालने के चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ एक विशेष बेंच का गठन किया था। इस सुप्रीम बेंच को उस समय बड़ा झटका लगा जब इस बेंच में शामिल जस्टिस अमीनउद्दीन ने खुद को चुनाव टालने के मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने एक याचिका दायर की है और चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती दी है। जस्टिस खान ने बुधवार को आए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया।
जस्टिस ईशा के फैसले से चीफ जस्टिस पर दबाव
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को खुद उन्होंने और दूसरे सबसे वरिष्ठ जज जस्टिस काजी फैज ईशा ने दिया था। जस्टिस ईशा और जस्टिस खान ने फैसला दिया था कि चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान को न तो विशेष बेंच बनाने और न ही उसके सदस्यों का फैसला करने का अधिकार है। इसी फैसले का हवाला देते हुए जस्टिस खान ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया।
अब पाकिस्तानी मीडिया का कहना है कि इस बेंच का फिर से गठन किया जाएगा। कानूनविदों का कहना है कि जस्टिस ईशा और जस्टिस खान का फैसला सुप्रीम कोर्ट में आ रहे बदलाव की ओर इशारा कर रहा है।
इससे यह भी साफ हो गया कि वर्तमान चीफ जस्टिस ने राजनीतिक रूप से सबसे ज्यादा संवेदनशील मामलों में खास जजों को ही चुना जाता था। इससे पहले पाकिस्तान की संघीय कैबिनेट ने मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय को व्यक्तिगत क्षमता में स्वत: संज्ञान लेने की शक्तियों से वंचित करने के लिए एक ‘विवादास्पद’ विधेयक को मंजूरी दी थी। उसे अब पाकिस्तानी संसद के दोनों ही सदनों से मंजूरी मिल गई है। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के नियमों में जो संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं, उन्होंने कानूनी और राजनीतिक हलकों में एक नई बहस छेड़ दी है और उम्मीद की जा रही है कि शीर्ष अदालत इस बिल को रद्द कर सकती है।
शहबाज सरकार का क्या है प्लान
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में एक बैठक में संघीय कैबिनेट द्वारा ‘सर्वोच्च न्यायालय (अभ्यास और प्रक्रिया) अधिनियम, 2023’ कहे जाने वाले बिल की मंजूरी के तुरंत बाद, इसे नेशनल असेंबली में पेश किया गया।
विधेयक को संसद में एक पूरक एजेंडा के माध्यम से पेश किया गया था, क्योंकि यह उस दिन के मूल आदेशों में शामिल नहीं था। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, बिल में मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की एक समिति का प्रस्ताव है, जिसे पहले की प्रथा के विपरीत स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार होगा, जिसमें सीजेपी को व्यक्तिगत क्षमता में अनुच्छेद 184 (3) के तहत कार्यवाही शुरू करने की अनुमति थी।
Compiled: up18 News
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