उदयपुर में कांग्रेस का तीन दिवसीय नवसंकल्प चिंतन शिविर शुरू, 400 से ज्यादा दिग्गज नेता शिविर के लिए पंहुचे

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झीलों की नगरी उदयपुर में कांग्रेस का शुक्रवार से अगले तीन दिन तक नवसंकल्प चिंतन शिविर शुरू हो चुका है। इसमें भाग लेने के लिए राहुल गांधी दिल्ली से ट्रेन से चलकर उदयपुर पहुंच चुके हैं तो वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी स्पेशल हवाई जहाज से पहुंची हैं।

आगामी विधानसभा व लोकसभा चुनाव को लेकर तमाम रणनीति, पार्टी को कैसे लेकर आगे चलना है और पार्टी के असंतुष्ट नेताओं को साध कर पार्टी को मजबूत करने को लेकर मंथन किया जाएगा। कांग्रेस के 400 से 450 नेता व पदाधिकारी शिविर के लिए पहुंच चुके हैं और मंथन के लिए तैयार हैं। चिंतन शिविर शुरू होने पर कांग्रेस की जी23 ग्रुप के सदस्य मनीष तिवारी ने कहा कि दिल में उम्मीदें और लव पर दुआएं हैं।

मनीष तिवारी ने कहा कि उदयपुर में जो हो रहा है, उसे एक परिपेक्ष्य के रूप में देखने की जरूरत है। 1998 में जब सोनिया गांधी को पचमढ़ी में कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था तो एक चिंतन शिविर हुआ था, जिसमें कुछ फैसले लिए गए थे। उसके बाद कारगिल में युद्ध हुआ जिसके बाद केंद्र में बीजेपी की अगुवाई में एनडीए की सरकार बन गई। इसके बाद 2003 में शिमला में एक चिंतन शिविर हुआ था, जिसने 2004 के लोकसभा चुनाव की रणनीति तय की गई थी। अब लगभग 19 साल बाद 2022 में चिंतन शिविर हो रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर हम लोग ठोस व्यापक रणनीति तैयार करने में सफल होंगे।

जरूरी है कि कांग्रेस का संगठन कैसे मजबूत किया जाए

एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में मनीष तिवारी ने कहा कि व्यापक रणनीति चिंतन शिविर में मौजूद 400 लोगों की आपसी बातचीत और चिंतन से निकलेगा। 400 लोगों का अपना तजुर्बा है। अलग-अलग विषयों पर बात करने के लिए ग्रुप बनाए गए हैं जिसमें राजनीतिक, आर्थिक, संगठनात्मक मामले, नौजवान, कृषि जैसे मुद्दे हैं। सबसे जरूरी बात यह है कि कांग्रेस का संगठन कैसे मजबूत किया जाए। गठबंधन के प्रति कांग्रेस का क्या रुख होगा। इसके अलावा विचारात्मक मामले हैं।

8 साल में देश का जो संतुलन खराब हो गया है

पार्टी में आज के समय में सबसे बड़ी चुनौती क्या है इस सवाल के जवाब में मनीष तिवारी ने कहा कि पिछले 8 साल में बीजेपी और एनडीए चुनाव भले ही जीत रही है, लेकिन देश का जो संतुलन खराब हो गया है। चाहे वह सामाजिक संतुलन हो, चाहे आर्थिक संतुलन हो, चाहे अंतर्राष्ट्रीय मामलों में संतुलन हो। इस वजह से इस देश में एक अद्भुत परिस्थिति बनी हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने फ्री स्पीच पर चिंता व्यक्त की है, देशद्रोह के मामले पर रोक लगाई है इसलिए बहुत सारे मुद्दे हैं जो मूलभूत भारत का ख्याल हैं। केवल कांग्रेस पार्टी का सवाल नहीं है। यह पार्टी तो केवल सबसेट हैं। आज बड़ी चुनौतियां देश के सामने हैं, उन पर हमारा क्या रुख होना चाहिए, नेतृत्व को किस तरह से पार्टी के रुख को क्रियान्वित करना चाहिए।

कांग्रेस के पूर्णकालिक अध्यक्ष के चुनाव के सवाल पर मनीष तिवारी ने कहा कि एक संगठनात्मक मामलों की कमेटी बनी है, उसके अध्यक्ष मुकुल वासनिक हैं। मुझे उम्मीद है कि जो संवेदनशील मुद्दें हैं, जिनका सीधा संबंध आपकी चुनाव प्रक्रिया और परफॉर्मेंस के ऊपर होता है उसपर खुले दिलो दिमाग से चर्चा करेंगे।

पंजाब के संदर्भ में हमने जो भी कहा था, वह सब सही निकला

पंजाब चुनाव में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की सलाह नहीं माने जाने के सवाल पर मनीष तिवारी ने कहा कि राय देना हमारा अधिकार है। उसे मानना या नहीं मानना लीडरशिप पर डिपेंड करता है। पिछले 40 साल से हमारे विवेक से मुझे जो ठीक लगता है हम उसे कहते आए हैं और आगे भी कहते रहेंगे। पंजाब के संदर्भ में हमने जो भी कहा था, वह सब सही निकला। जो राय दी जाती है वह किसी महत्‍वाकांक्षा से नहीं दी जाती। कोई भी राय पार्टी के साथ भावनात्मक और विचारात्मक लगाव के चलते दी जाती है।

सोनिया गांधी के नेतृत्व पर कांग्रेस में किसी को शक नहीं

एनसीपी प्रमुख शरद पवार के गांधी फैमिली के ऊपर आए हालिया बयान पर मनीष तिवारी ने कहा कि सोनिया गांधी ने 1998 से 2017 तक कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं। उस दौरान केंद्र में 10 साल यूपीए का शासन रहा। राजनीतिक दलों के जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं। 2019 में उन्होंने नहीं कहा था कि मुझे अध्यक्ष बनाओ, कांग्रेस पार्टी ने एक सुर में यह फैसला लिया था। जहां तक सोनिया गांधी का सवाल है तो कांग्रेस के अंदर उनके नेतृत्व को लेकर कोई विवाद नहीं है। हमारा सिर्फ इतना मानना है कि कुछ करेक्शन अप्लाई करने की जरूरत है।

वन फैमिली वन टिकट के सवाल पर मनीष तिवारी ने कहा कि मेरा सदा से मानना रहा है कि इस मापदंड को लागू किया जाना चाहिए। इसे इसलिए लागू करना चाहिए ताकि आम कार्यकर्ता को मौका मिल सके। जब कार्यकर्ता पाते हैं कि पार्टी में जब उनकी आकाक्षाएं और आशाएं पूरी नहीं होती हैं तो वह फिर कहीं और चले जाते हैं। इसका पार्टी को नुकसान होता है।

आखिर में मनीष तिवारी ने कहा कि we are going for meeting in udaipur with hope in our hearts हम लोग बचपन से कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे हैं, हमारे परिवार ने इस पार्टी की विचारधारा के लिए शहादत दी है। हम उन परिवारों से आते हैं, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भूमिका निभाई है। हम चाहते हैं कि कांग्रेस उन बुलंदियों को दोबारा छूए जो सिर्फ पार्टी के लिए जरूरी नहीं है, बल्कि भारत के ख्याल को जीवित रखने के लिए जरूरी है।

-एजेंसियां


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