अमेठी। अमेठी लोकसभा सीट से गांधी परिवार भले ही सीधा चुनाव न लड़ रहा हो, लेकिन मुकाबला गांधी परिवार के ही नुमाइंदे से है, जो गांधी परिवार की पसंद से पहली बार चुनावी मैदान में उतरा है। इस बार अमेठी से कांग्रेस उम्मीदवार किशोरी लाल शर्मा गांधी परिवार के सबसे नजदीकी स्थानीय कार्यकर्ताओं में से एक हैं। वो मूलतः खत्री ब्राह्मण हैं, लुधियाना की उनकी पैदाइश है। राजीव गांधी के करीबी थे। उन्हीं के साथ पहली बार अमेठी आए और तब से यहीं के होकर रह गए।
जातीय समीकरण में भी किशोरी लाल फिट बैठते हैं। अमेठी में दलित (26 फीसदी), मुस्लिम (20 फीसदी) और ब्राह्मण (18 फीसदी) का दबदबा है। यहां सबसे अधिक आबादी ओबीसी वर्ग की है। अमेठी लोकसभा सीट में करीब 34 फीसदी ओबीसी वर्ग के मतदाता हैं। अनुमान है कि अमेठी में करीब 8 फीसद ब्राह्मण और करीब 12 फीसदी राजपूत मतदाता हैं। ऐसे में कांग्रेस को लगता है कि जातीय समीकरणों के हिसाब से के एल शर्मा को फायदा हो सकता है। गांधी परिवार ने भरोसा दिया है कि वो प्रचार के काम में किशोरी लाल शर्मा के साथ भरपूर साथ देंगे।
ये गौर करना भी अहम है कि 2019 के चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरे थे और इस गठबंधन ने अमेठी लोकसभा सीट उम्मीदवार नहीं उतारा था। इस बार बसपा के नन्हे सिंह चौहान के मैदान में उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।
शर्मा की बात करें तो जब भी गांधी परिवार इन दो सीटों पर चुनाव नहीं लड़ा, तब भी केएल शर्मा यहां जमे रहे और स्थानीय लोगों से घुलते मिलते रहे। सोनिया गांधी के सांसद बनने के बाद से लेकर अब तक अमेठी और रायबरेली सीटों पर जमीनी काम करने और कराने का सारा जिम्मा के एल शर्मा ही उठा रहे थे। जो लोग इस इलाके से आते हैं, वो केएल शर्मा के नाम को जानते होंगे। वो मृदु भाषी, सरल व्यक्तित्व, कुशल मैनेजर और मीडिया की चकाचौंध से दूर रहते हैं।
पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ताओं में खुशी होगी कि किसी बाहरी को यहां से नहीं थोपा गया है। कार्यकर्ता अपनों के बीच से ही कांग्रेसी प्रत्याशी चाहते थे। इंटरनल सर्वे में ये बात निकल कर आई थी।
करीब 55 हजार वोटों से राहुल गांधी 2019 में स्मृति ईरानी से हारे थे। इन पांच सालों में केन्द्रीय मंत्री बनने के बाद स्मृति ईरानी ने यहां पर काम करवाए और स्थानीय लोगों का भरोसा जीतने का काम भी किया। अब तो उन्होंने अपना घर भी वहां बनवा लिया है। वो लगातार यहां से संपर्क बनाकर रखी हुई हैं। आती-जाती रहीं, जबकि राहुल गांधी इक्का-दुक्का ही हारने के बाद अमेठी आए।
-एजेंसी