साल 2013 में जब राहुल गांधी के अध्यादेश फाड़ा था तो उनकी इस हरकत से प्रणब मुखर्जी हैरान थे. उन्होंने कहा था कि उनमें (राहुल गांधी) राजनीतिक कौशल के बिना गांधी-नेहरू वंश का सारा “अहंकार” है. प्रणब मुखर्जी का मानना था कि अध्यादेश फ़ाड़ने का प्रकरण कांग्रेस के लिए “ताबूत में आखिरी कील” साबित हुआ.
ये सारे दावे दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पर लिखी गई एक किताब में किए गए हैं, जिसे उनकी बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने लिखा है.
‘इन प्रणब, माइ फ़ादर:अ डॉटर रिमेंबर्स’ नाम की किताब में शर्मिष्ठा ने लिखा है कि उनके पिता ने उन्हें बताया था कि “राहुल गांधी शायद राजनीति के लिए नहीं बने हैं.” उनमें “करिश्माई छवि और राजनीतिक समझ की कमी है जो उनके लिए समस्या बन रही है.”
27 सितंबर, 2013 को राहुल गांधी पूर्व कैबिनेट मंत्री अजय माकन की ओर से आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आए और एक प्रस्तावित अध्यादेश को “पूरी तरह से बकवास” बताते हुए मीडिया के सामने ही फाड़ दिया.
अध्यादेश में दोषी विधायकों को तत्काल अयोग्य ठहराने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार किया गया था. इसके इतर अध्यादेश में यह प्रस्तावित किया गया कि दोषी विधायक हाई कोर्ट में अपील लंबित होने तक सदस्य के रूप में बने रह सकते हैं.
किताब में इस बात का भी जिक्र है कि राहुल गांधी राष्ट्रपति भवन में प्रणब मुखर्जी से मुलाकात करते रहते थे. मुलाकातों की संख्या अधिक नहीं थी. प्रणब मुखर्जी ने उन्हें यूपीए सरकार के कैबिनेट में शामिल होकर अनुभव हासिल करने की सलाह दी थी. हालांकि राहुल ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. किताब में इस बात का भी जिक्र है कि 2013 के दौरे पर प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि राहुल को कई मामलों में रुचि है लेकिन वो एक विषय से दूसरे पर तेजी से आगे बढ़ जाते हैं.
रूपा पब्लिकेशन की ओर से प्रकाशित प्रणब माई फादर: ए डॉटर रिमेम्बर्स ( In Pranab,My Father:A Daughter Remembers) में शर्मिष्ठा मुखर्जी ने पिता की डायरी, उनसे सुनी कहानियों और बातचीत के अज्ञात पहलुओं को उजागर किया है। प्रणब मुखर्जी ने भारत के वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया। वह विदेश, रक्षा, वित्त और वाणिज्य मंत्री बने। वह भारत के 13वें राष्ट्रपति (2012 से 2017) थे। प्रणब मुखर्जी का 31 अगस्त 2020 को 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया था।
-Compiled by up18 News