CJI चंद्रचूड़ ने कहा: हम रोज देखते हैं, जिनके पास संसाधन हैं वे न्याय का दुरुपयोग कर रहे हैं

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इस कॉन्फ्रेंस का मकसद लीगल सिस्टम में टेक्नोलॉजी और कानूनी प्रणाली के बीच की कनेक्टिविटी को समझना है। साथ ही कॉन्फ्रेंस का फोकस भविष्य में AI के रोल पर भी होगा।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के भाषण की 5 बातें

AI ने लीगल रिसर्च को रीशेप करने में मदद की है। चैट जीपीटी के लॉन्च के साथ यह बात भी सामने आई है कि किसी निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए AI पर भरोसा करना चाहिए या नहीं।

AI को लेकर लोगों के बीच में बहुत एक्ससाइटमेंट है, लेकिन हमें इसमें होने वाली गलतियों को लेकर भी चिंता है। मजबूत ऑडिटिंग सिस्टम के बिना AI टेक्नोलॉजी पर निर्भर नहीं रहा जा सकता।

फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी AI के गलत इस्तेमाल का हाई रिस्क वाला उदाहरण है। इस बात की पूरी संभावना है कि AI को अपनाने से डबल लेवल सिस्टम डेवलप हो सकता है।

अपने इकोसिस्टम प्रोजेक्ट में हम सभी को API (एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) की ओर बढ़ा रहे हैं। इससे हम अपने डेटा को स्टार्टअप्स को देंगे, जो लीगल सिस्टम को और बेहतर बनाने में हमारी मदद कर सकेंगे।

सुप्रीम कोर्ट आज हाइब्रिड मोड का इस्तेमाल कर रही है। इससे यह पता चलता है कि भारत के ज्यूडिशियरी में कितना बदलाव देखने को मिला है, ताकि हम जल्द से जल्द सबसे कनेक्ट कर सकें।

इन विषयों पर हो रही चर्चा

AI का लीगल सिस्टम में क्या रोल है?
क्या AI कोर्ट प्रोसीडिंग में मदद कर सकता है?
AI का ज्यूडिशियल ट्रेनिंग में क्या रोल है?
क्या AI की मदद से लोग भी जस्टिस तक आसानी से पहुंच सकते हैं?
AI का क्या भविष्य है?

चीफ जस्टिस, जज और एक्सपर्ट्स हैं कॉन्फ्रेंस का हिस्सा

कॉन्फ्रेंस में होने वाली चर्चा में भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और सिंगापुर के चीफ जस्टिस सुंदरेश मेनन इस कॉन्फ्रेंस में शामिल हो रहे हैं। साथ ही सिंगापुर से अलग-अलग जज, ज्यूरिस्ट्स और एक्सपर्ट्स भी चर्चा में शामिल होंगे।

AI से कैसे बदल सकता है लीगल सिस्टम?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक स्टेटमेंट में कहा कि यह कॉन्फ्रेंस टेक्नोलॉजी से जुड़े विषयों पर चर्चा करने के लिए एक बहुत अच्छा प्लेटफॉर्म साबित होगा। साथ ही इस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हम यह भी जान सकेंगे कि न्यायिक प्रक्रियाओं को AI कैसे बढ़ा सकता है?

SC ने आगे ये भी कहा कि यह इवेंट दोनों देशों के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, अकेडमिशियंस, लीगल मेंबर्स और टेक्नोलॉजिकल कम्युनिटी के सदस्यों के बीच एक अच्छी बातचीत को बढ़ावा देगा।

सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि इस कॉन्फ्रेंस के जरिए AI पर चर्चा के अलावा हम दोनों देशों के बीच के संबंध भी मजबूत करना चाहते हैं। साथ ही कोशिश है कि AI के माध्यम से लीगल सिस्टम को और बेहतर बनाया जाए, ताकि AI के रोल को समझते हुए आम नागरिकों के लिए जस्टिस तक पहुंच भी आसान हो।

-एजेंसी


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