आरक्षण में क्रीमीलेयर लागू करने को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करे केंद्र सरकार: मायावती

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लखनऊ। बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा है कि संसद के सत्र में आरक्षण पर संशोधन विधेयक लाकर उच्चतम न्यायालय के निर्णय को निष्प्रभावी कर देना चाहिए था। उच्चतम न्यायालय द्वारा आरक्षण व्यवस्था पर बीते दिनों दिए गए निर्णय को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार को इसी सत्र में आरक्षण संशोधन विधेयक लाना चाहिए था।

इस दौरान बसपा सुप्रीमो मायावती ने जातीय जनगणना का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि, केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वो जातीय जनगणना कराए। बसपा पहले से इसके पक्ष में रही है। वहीं, इस दौरान भाजपा, कांग्रेस और सपा पर जमकार निशाना साधा। उन्होंने कहा कि, ये सभी एससी और एसटी वर्गों के आरक्षण के खिलाफ रहे हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस-सपा व अन्य दलों ने आरक्षण और संविधान बचाने की बात कहकर इन वर्गों का समर्थन हासिल कर लिया जिससे कि इन वर्गों की सच्ची हितैषी बसपा को नुकसान हुआ है। अब ये दल भी चुप बैठ गए हैं। इन्हें भी अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।

इसके साथ ही कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आश्वासन देने से काम नहीं चलेगा। केंद्र की सरकार को संसद का सत्र बुलाकर अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति और क्रीमीलेयर के मामले में आरक्षण की स्थिति साफ़ करनी चाहिए। इसके साथ ही जिन राज्यों में कांग्रेस भाजपा और अपना दल की सरकारें हैं उनको भी आरक्षण को लेकर स्थिति साफ़ करनी चाहिए। इसके साथ ही मायावती ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट में ठीक से पैरवी नहीं की।

सभी राजनीतिक दलों से स्थिति स्पष्ट करने को कहा

बेशक प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया है लेकिन खाली आश्वासन से काम नहीं चलेगा। उन्होंने सुझाव दिया कि अब संसद का अगला सत्र बुलाकर उसमें आरक्षण संशोधन विधेयक पेश करना चाहिए। उन्होंने इस संदर्भ में सभी राजनीतिक दलों से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सहित अन्य राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए मायावती ने कहा कि लोकसभा चुनाव में यह राजनीतिक दल संविधान की प्रतियां लेकर लोगों को गुमराह कर रहे थे और अब जब बोलने का समय आया है तो सभी ने चुप्पी साथ ली है।

लोगों से एकजुट होने की अपील

उन्होंने लोगों से भी अपील की है कि वह आरक्षण के मुद्दे को लेकर एकजुट हों और आवाज़ उठाएं क्योंकि अगर अब आवाज नहीं उठाई तो हमेशा के लिए आरक्षण से वंचित रहना पड़ेगा। जाति आधारित गणना को लेकर उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अपनी जिम्मेवारी निभाते हुए राष्ट्रीय स्तर पर जाति आधारित गणना करवानी चाहिए।

Compiled by up18News