लखनऊ। 2017 में हुए श्रवण साहू हत्याकांड की जांच कर रही CBI ने मंजिल सैनी को काम में लापरवाही का दोषी माना है। सीबीआई ने राज्य सरकार से सैनी के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की है।
वर्तमान में पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में डीआईजी हैं मंजिल सैनी
मंजिल सैनी 2005 बैच की आईपीएस अधिकारी है। उन्होंने 18 मई 2016 से 27 अप्रैल 2017 तक लखनऊ के एसएसपी के पद की जिम्मेदारी संभाली थी। फिलहाल सैनी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में डीआईजी का पद संभाल रही हैं।
क्या है मामला
गौरतलब है कि 1 फरवरी 2017 को लखनऊ के सआदतगंज थाना क्षेत्र के रहने वाले तेल कारोबारी श्रवण साहू (62 वर्ष) की हत्या उनके घर के सामने गोली मारकर कर दी गई थी। श्रवण अपने बेटे के हत्यारों के खिलाफ कोर्ट में लड़ रहे थे।
बता दें कि श्रवण के बेटे आयुष साहू की भी हत्या कर दी गई थी। आयुष साहू की हत्या में आरोपित अकील अंसारी ने पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर साजिश रची और श्रवण के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई। पुलिसकर्मियों ने अंसारी गैंग के ही चार युवकों को फर्जी मामले में गिरफ्तार किया था। इसकी जानकारी होने पर तत्कालीन स्वाट प्रभारी दारोगा धीरेंद्र शुक्ला, पारा थाने के कांस्टेबल धीरेंद्र यादव और अनिल बर्खास्त हुए थे और 14 पुलिस कर्मियों के खिलाफ ठाकुरगंज, पारा और हसनगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई थी। इसी बीच एक फरवरी 2017 को श्रवण की हत्या करा दी गई। इस मामले में श्रवण इकलौते गवाह थे वहीं पुलिस की भूमिका भी इस केस में संदिग्ध पाई गई थी।
श्रवण को लगातार धमकियां दी जा रही थीं और उन्होंने सुरक्षा की मांग करते हे लखनऊ की तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी से गुहार भी लगाई थी, लेकिन उन्हें सुरक्षा मुहैया नहीं कराई गई। बाद में श्रवण की बदमाशों ने उनके घर के सामने ही गोली मारकर हत्य़ा कर दी थी वहीं राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।
मंजिल सैनी ने माना था पुलिस से हुई थी चूक
गौरतलब है कि लखनऊ की तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी ने श्रवण साहू की हत्या के बाद दुख जाहिर करते हुए इसे पुलिस की गंभीर चूक माना था। राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। सीबीआई ने 11 अगस्त 2017 को मंजिल सैनी से लंबी पूछताछ भी की थी। पूछताछ के दौरान श्रवण साहू को सुरक्षा प्रदान किए जाने में हुई लापरवाही को लेकर सैनी ने अधीनस्थ अधिकारियों को दोषी बताया था।
उन्होंने सीबीआई अधिकारियों को बताया था कि पुलिस लाइन के तत्कालीन प्रतिसार निरीक्षक शिशुपाल सिंह को उन्होंने श्रवण साहू को सुरक्षा प्रदान कराने का मौखिक आदेश दिया था, लेकिन प्रतिसार निरीक्षक ने उसका पालन नहीं किया। सीबीआई ने श्रवण साहू के बेटे आयुष की हत्या के बाद श्रवण साहू के खिलाफ फर्जी एफआइआर दर्ज किए जाने को लेकर भी उनसे सवाल-जवाब किए थे।
-एजेंसी
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