केंद्रीय अन्वेष्ण ब्यूरो (CBI) ने देश के बड़े सरकारी बैंक यूको बैंक के 62 ठिकानों पर छापेमारी की है. यह छापेमारी IMPS के जरिए 850 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेनदेन से जुड़ी है. 6 मार्च को एजेंसी ने राजस्थान के जोधपुर, जयपुर, जालोर, नागौर और बाड़मेर सहित महाराष्ट्र के पुणे में यूको बैंक के ठिकानों पर छापेमारी की.
UCO और IDFC से जुड़े 130 डॉक्यूमेंट्स, 40 मोबाइल, 2 हार्ड डिस्क और एक इंटरनेट डोंगल सीज किया. सीबीआई ने छापेमारी के दौरान 30 संदिग्धों की भी जांच की.
खबरों के अनुसार एजेंसी इन सभी साक्ष्यों की फोरेंसिक जांच कराएगी. बता दें कि इस मामले में सीबीआई पिछले साल भी 13 ठिकानों पर छापेमारी कर चुकी है. दरअसल, पिछले साल 10 और 11 नवंबर को 7 प्राइवेट बैंकों के 14000 से अधिक खातों के जरिए यूको बैंक के 41000 अकाउंट्स में 850 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन दिखाया गया. इसमें दिक्कत यह हुई कि जिन खातों से ये ट्रांजेक्शन दिखाया गया उन बैंक खातों से पैसा कटे बिना ही यूको बैंक के खातों में दिखने लगा. इसकी वजह से जांच एजेंसियों के कान खड़े हो गए. गौरतलब है कि यह सभी ट्रांजेक्शन IMPS के जरिए ही हुए थे.
यूको बैंक ने की शिकायत
इस गड़बड़ी को लेकर यूको बैंक ने खुद ही शिकायत कराई. बैंक ने पहले कहा कि यह गड़बड़ी करीब 1.53 करोड़ रुपये की है. बैंक ने तब शेयर मार्केट को बताया कि यह गड़बड़ी तकनीकी खामी की वजह से हुई है. बाद में पता चला कि तकनीकी खामी का फायदा उठाते हुए ई-मित्र संचालकों और बैंक के कर्मचारियों ने मिलकर 850 करोड़ रुपये निकाल लिए हैं. खबरों के अनुसार, बैंक 649 करोड़ रुपये रिकवर कर चुका है. यह जानकारी बैंक ने खुद शेयर बाजारों को दी है.
ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा गड़बड़ी
ई-मित्रों ने ग्रामीण इलाकों में रातों-रात कई लोगों के खाते खुलवाए और इन खातों के माध्यम से लाखों रुपये का लेनदेन दूसरे खातों में करवाया. इस पर पहले जयपुर की साइबर थाना पुलिस ने संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की और अब सीबीआई भी इस मामले में दबिश बना रही है. सीबीआई ने 60 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी कर कई दस्तावेज जब्त कर लिये हैं.
-एजेंसी
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