सड़क हादसे के घायलों के लिए कैशलेस इलाज योजना लागू, गोल्डन ऑवर में अब नहीं रहेगा कोई घायल इलाज से वंचित

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और आगरा निवासी किशन चंद जैन ने जानकारी दी कि देशभर के सड़क हादसों में घायल होने वाले हजारों निर्दोष लोगों को वह अधिकार मिल गया है, जिसका इंतजार वर्षों से था। गोल्डन ऑवर के दौरान बिना किसी देरी, बिना किसी खर्च के, घायल व्यक्ति को नकद रहित (कैशलेस) इलाज मिलेगा।

उन्होंने बताया कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 162(2) के अंतर्गत केंद्र सरकार ने विगत पांच मई को अधिसूचना जारी कर इस योजना को लागू कर दिया।

मंगलवार को यह योजना सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की गई। इसके साथ केंद्र सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से एक शपथपत्र भी दाखिल किया गया, जिसमें सरकार ने इस पहल के प्रति अपनी पूर्ण प्रतिबद्धता दर्शाई।

यह योजना कोई साधारण निर्णय नहीं, बल्कि मानव जीवन की रक्षा के लिए उठाया गया एक ऐतिहासिक और करुणामय कदम है, जो उन हजारों परिवारों को राहत देगा जो केवल समय पर इलाज न मिलने से अपनों को खो चुके हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता किशन चंद जैन ने अक्टूबर, 2023 में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर इस योजना के क्रियान्वयन की माँग की थी। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अभय एस. ओका एवं न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयाँ की पीठ के समक्ष मंगलवार को इसकी सुनवाई हुई।

सुनवाई के दौरान यह बात आई कि योजना के तहत पीड़ित को अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक का नकद रहित उपचार सात दिनों तक प्रदान किया जाएगा। इसको लेकर अधिवक्ता जैन ने अपनी आपत्ति प्रस्तुत की।

न्यायालय के 08 जनवरी 2025 के आदेश का सन्दर्भ देते हुए कहा गया कि धनराशि और समय की सीमा नहीं निर्धारित होनी चाहिए। न्यायालय ने आपत्ति का उल्लेख अपने आदेश में करते हुए केन्द्र सरकार को अपना शपथ पत्र अगस्त 2025 में प्रस्तुत करने के लिये कहा है जिसमें योजना की प्रगति के बारे में और लाभार्थियों की संख्या बतानी हैं।