कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने जिस तरह से पिछले दिनों भारत पर बेतुके आरोप लगाए, उसके बाद से ही वह आलोचकों के निशाने पर आ गए हैं। कनाडा की मीडिया खुद पीएम से सवाल कर रही है। देश में ट्रूडो के आलोचक उनसे पूछ रहे हैं कि वह आखिर चीन के लिए उस तरह से सख्त क्यों नहीं होते हैं, जैसे वह भारत के खिलाफ हैं।
कैनेडियन अखबार नेशनल पोस्ट के एक आर्टिकल में तो ट्रूडो की वजह से कनाडा को चीन के सामने मेमना तक करार दे दिया गया है। इस आर्टिकल को जेमी सरकोनाक ने लिखा है, जो पिछले काफी समय से पीएम की नीतियों की आलोचना करते आ रहे हैं। ट्रूडो ने भारत को खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का दोषी करार दे डाला है।
चीनी नागरिक की मौत पर चुप
जैमी ने लिखा है कि ट्रूडो चीन के आगे मेमना बन गए हैं और भारत के सामने शेर बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि कनाडा वह देश है जहां पर कई अतंर्राष्ट्रीय विविधताओं का मिलन होता है। जिस तरह यूक्रेन ऐतिहासिक रूप से रूस और पश्चिमी यूरोप के बीच आदान-प्रदान का क्षेत्र रहा है, उसी तरह कनाडा पश्चिम और बाकी दुनिया के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान का स्थान है। लेकिन पिछले कुछ समय से देश की यही स्थिति इसे संघर्ष का क्षेत्र भी बनाती जा रही है। इसके बाद जैमी ने कनाडा में हुई दो मौतों का जिक्र किया जिसमें एक जून में हुई हरदीप सिंह निज्जर की तो दूसरी साल 2021 में हुई चीनी नागरिक वेई हुई की मौत है।
निज्जर था आतंकी
नेशनल पोस्ट में अपने कॉलम में जैमी ने लिखा कि जून में निज्जर की मौत हुई और उनकी मौत पर कनाडा की प्रतिक्रिया आश्चर्यजनक रूप से विस्फोटक रही है। कनाडा के पीएम ट्रूडो ने हाउस ऑफ कॉमन्स में अचानक भारत की निंदा की और भारत को दोषी ठहरा दिया। ट्रूडो ने अपने आरोपों को साबित करने के लिए सबूतों की जानकारी देने से भी इंकार कर दिया जबकि भारत ने उसे एक आतंकी घोषित किया हुआ था। भारत ने निज्जर को साल 2007 में पंजाब में हुए बम विस्फोट और ब्रिटिश कोलंबिया में अलगाववादी प्रशिक्षण शिविर चलाने के लिए जिम्मेदार ठहराया था।
जान बचाकर आए कनाडा
ट्रूडो की यही नाराजगी चीन के सामने नजर नहीं आती। कनाडा के नागरिक वेई हू की संदिग्ध आत्महत्या आज भी सवालों के घेरे में है। 57 साल के हुई साल 2000 में चीन से भागकर कनाडा आए थे। उन्होंने एक दोस्त को बताया था कि ‘अगर वह किसी दुर्घटना से मर गए या फिर उसकी आत्महत्या की खबर आई तो इस पर विश्वास मत करना।’
कनाडा की पुलिस अब तक यह पता लगा रही है कि क्या हू की मौत चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के दबाव में हुई थी। हू पर वित्तीय अपराधों के लिए मुकदमा चलाया गया था। वह अक्सर चीन की सरकार के खिलाफ बयान देते थे लेकिन इसके बाद भी संसद में चीन के खिलाफ कोई बड़ा ऐलान नहीं हुआ।
Compiled: up18 News
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