पुल गिरना ममता के खिलाफ भगवान का संदेश था: और जहाज गिरना ?

अन्तर्द्वन्द
शकील अख्तर

पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने क्या कहा था? “ यह जो पुल टूटा भगवान का संदेश है। इसे ( मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ) हटाओ नहीं तो कल यह पूरा बंगाल खत्म कर देगी! “ यह भी कहा कि चुनाव के समय पुल इसलिए गिरा है ताकि लोगों को पता चल सके कि ममता बनर्जी ने कैसी सरकार चलाई।

आज जो अहमदाबाद इतनी भयानक विमान दुर्धटना हुई। 245 लोग मरे। क्या यह भी कोई भगवान का संदेश है? कोई पूछ सकता है कैसी सरकार चलाई ?

सब प्राइवेट कर दिया। देश में पहली बार है कि सरकार के पास कोई एयर लाइंस नहीं है। यह जो जहाज गिरा टाटा का। जिस हवाई अड्डे से उड़ा अहमदाबाद के वह अंबानी का।
मगर कोई सवाल पूछने वाला नहीं है।
क्यों?

क्योंकि मेरे पास मीडिया है!

अमिताभ बच्चन के पास जो मां थी मतलब डायलग वह तो बहुत निरीह थी। मगर यह मीडिया तो बहुत दुष्ट है। यह सच को झूठ और झूठ को सच बना सकता है। और जनता को लंबे समय तक बेवकूफ।

लेकिन अगर यह मीडिया ही 2014 से पहले वाला होता तो जरूर पूछता कि अगर ममता बनर्जी ने सरकार ठीक नहीं चलाई तो एक पुला गिरा और यह जो जहाज गिरा तो आपने कितनी खराब सरकार चलाई? तुलनाएं बहुत बुरी होती हैं। मगर जब समय खराब होता है यही होने लगता है। आप बच नहीं सकते। सही बात बताने के लिए चाहे या न चाहें लोगों को तुलनात्मक रूप से बताना पड़ता है। वही खराब समय है यह। तो पुल गिरने से 25 लोग मरे थे और जहाज गिरने से 245।

कुछ कहना चाहेंगे अपनी सरकार पर! वैसे गृह मंत्री अमित शाह ने तो बोल दिया। यह एक्सीडेंट है। और एक्सीडेंट को कोई रोक नहीं सकता।

देख लीजिए कितना दोहरा रवैया है। कोलकाता में पुल गिरा ममता बनर्जी की सरकार की गलती। अहमदाबाद में जहाज गिरा केवल एक एक्सीडेंट। किसीकी जिम्मेदारी नहीं।

बहुत खबरें आ रही हैं। जहाज पहले से खराब था। जो इसी जहाज से दिल्ली से अहमदाबाद आए वे बता रहे हैं। खुद वह व्यक्ति विश्वास रमेश कुमार जो एकमात्र जिन्दा बचा है कि दरावजा पहले से टूटा हुआ था जहां से वह निकला। उड्डयन से जुड़े तमाम लोग, विशेषज्ञ कि जब से एयर इंडिया प्राइवेट हुआ और हवाई अड्डे निजी हाथों में सौंपे गए कुछ भी ठीक नहीं चल रहा। न नागरिक उड्डयन मंत्रालय कोई शिकायत सुनता है और न एयर इंडिया का मैनेजमेंट। और यह हम आप जैसे यात्रियों की बात नहीं है खुद विमान सेवा के पायलट और अन्य कर्मचारियों अधिकारियों की।

बहुत सारी बातें है। पैसे के लालच में सामान ज्यादा लोड कर लिया जाता है। जहाज में खराबी होने के बावजूद उसे उड़ा दिया जाता है। अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर उड़ने से पहले जो जांचे होती हैं हंड्रेट परसेन्ट फिट होने की जो जरूरत होती है उसकी पालना नहीं हो रही है।

कई छोटी छोटी बातें तो हम लिख चुके हैं। जैसे एक बिफोर उड़ा देना। यह एक बिल्कुल नई चीज शुरू हुई है। कई यात्रियों की फ्लाइट मिस हो जाती है। कोई ट्रेन कभी एक सेकंड भी बिफोर नहीं चल सकती। मगर जहाज उड़ाए जा रहे हैं। दूसरी बात हर हवाई अड्डे पर सिक्यरटी के अलग अलग नियम। कहीं जूते उतरवाए जा रहे हैं तो कहीं नहीं।

बेचारे यात्री मजाक का पात्र हो जाते हैं जो पहले से उतारकर ट्रे में रख देते हैं। उनसे कहा जाता है जूते भी एक्सरे मशीन में जाते हैं? अन्तरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए तो और बुरा हाल है। कभी कुछ ले जाने देते है कभी नहीं। पिता कहता है कि देखो मैंने मना किया था खाने का यह समान मत रखो! मां कहती है कि पहले मैं लेकर गई थी यह इसलिए लाई। विदेश बच्चों के लिए ले जाने वाले सामान में से आधा एयरपोर्ट पर छोड़ना पड़ता है। और फिर विदेश में बच्चे कहते हैं कि फलाने के मम्मी पापा तो ले आए थे। अब इंडिया में कहते तो आप बच्चों को चार सुना सकते थे। वहां तो बस यह पूछकर आदमी रह जाता है कि उन्होंने कौन से एयरपोर्ट से फ्लाइट ली थी।

खैर आम आदमी की छोड़िए केन्द्रीय मंत्री और जो बीस साल मुख्यमंत्री रहे उन शिवराज सिंह चौहान को सार्वजनिक रूप से शिकायत करना पड़ी कि उन्हें टूटी सीट पर बिठा दिया।

नेहरू ने अंग्रेजों ने यह किया यह नहीं किया मैं वक्त नहीं गंवाया। सरकार की एयर लाइंस की जरूरत समझी। और एयर इंडिया का अधिग्रहण कर लिया था। मोदी सरकार ने उसे वापस टाटा को दे दिया। आज सरकार के पास अपनी कोई एयर लाइंस नहीं है। हवाई अड्डे भी कितने बचे हैं? जनता के पैसे से बने हुए बुनियादी ढांचों को कोड़ियों के मोल अडानी और दूसरे प्राइवेट लोगों को दे दिए।

जब टाटा को दिया था उस समय लिखा था कि जब सरकार को जरूरत होगी, कोई इमरजेंसी आएगी तो उसके पास कुछ नहीं होगा। सेना और बीएसएफ को परेशान किया जाएगा। वह अपना काम छोड़कर सीविलियन काम के लिए जहाज और स्टाफ देंगे।

अभी पहलगाम में टुरिस्टों पर हुए आतंकवादी हमले के बाद क्या हुआ? घबराहट में सब टूरिस्ट कश्मीर छोड़कर वापस आना चाहते थे। एयर लाइंसों ने अपना किराया कई गुना बड़ा दिया। खुले आम लूट हुई। और यह कोई पहली बार थोड़ी है पहले भी जब भी कोई ऐसी भीड़ बड़ी एयर लाइंस मनमाने किराए वसूल करने लगीं।

बात पहलगाम की आ गई तो वैसा ही वहां भी किया। जैसा अभी अमित शाह ने कहा है कि यह तो एक एक्सीडेंट है कभी भी हो सकता है। ऐसे ही वहां कहा था कि बैसरन जहां आतंकवादियों ने 26 टूरिस्टों को मारा वहां जाने की इजाजत नहीं थी गए क्यों?

कोविड के समय कहा था दोष सिस्टम का है। सिस्टम क्या है? वह शायद कोई उपर से आई चीज है। सरकार का कोई रोल नहीं। और क्या कहा था मरने वाले सीधे स्वर्ग में गए। उन्हें मोक्ष मिल गया। ऐसे ही कुंभ हादसे के समय कहा। मृतकों की संख्या तक सही नहीं बताई। अभी बीबीसी की रिपोर्ट के बाद की 37 नहीं 82 मरे थे कोई जवाब स्पष्टीकरण नहीं। मीडिया खामोश।

इनकी कहीं कोई जिम्मेदारी नहीं है। यहां तक की चीन हमारे यहां अंदर घुसकर 20 जवानों को शहीद कर जाता है। लद्दाख की गलवान घाटी में। मगर प्रधानमंत्री कहते हैं कि न कोई घुसा था न कोई है।

पहलगाम हमले का एक आतंकवादी नहीं पकड़ा गया। मगर यह अपनी पीठ ठोकते घूम रहे हैं। यह कर देंगे वह कर देंगे। मोदी खुद गोली मार देंगे। रगों में सिंदूर बहता है। उधर सीजफायर मैंने करवाया से आगे बढ़कर अब वे पाकिस्तान के नेतृत्व के मजबूत बताने लगे। उनके आर्मी चीफ को अपनी नेशनल आर्मी डे परेड में बुलाने लगे। पाकिस्तान को अपना रणनीतिक पार्टनर बताने लगे।

सब कुछ हमारे विपरीत जा रहा है। मगर मोदी के पास मीडिया है तो उन्हें कोई चिन्ता नहीं। अहमदाबाद पहुंचे। हर एंगल से देश में दुःख का माहौल बनाने के लिए वीडियों और फोटो बनाए जा रहे हैं। मगर यह कोई नहीं पूछ रहा कि सुब्रमणयम स्वामी कह रहे हैं कि शास्त्री जी ने रेल दुर्घटना पर इस्तीफा दे दिया था। वह आपका इस्तीफा मांग रहे हैं। क्या कहेंगे?

कोई मीडिया पूछ सकता है?

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं लेख में ये उनके निजी विचार हैं)