सुप्रीम कोर्ट से नीतीश सरकार को बड़ा झटका
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान पटना हाईकोर्ट की तरफ से बिहार में जाति आधारित गणना एवं आर्थिक सर्वे पर लगी रोक बरकरार रखने का फैसला लिया है। उच्चतम न्यायालय ने साफ कर दिया कि पटना उच्च न्यायालय की तरफ से दिया गया फैसला सही था और इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा। वहीं गुरुवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिहार सरकार पहले 03 जुलाई 2023 को पटना हाईकोर्ट की सुनवाई में हाजिर हों, वहां पर अपने तर्क को रखें। अगर पटना हाईकोर्ट से बिहार सरकार संतुष्ट नहीं होती तो 14 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में केस की सुनवाई होगी।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि इस बात की जांच करनी होगी कि क्या यह कवायद सर्वेक्षण की आड़ में जनगणना तो नहीं है। पीठ ने कहा, ‘हम यह स्पष्ट कर रहे हैं, यह ऐसा मामला नहीं है जहां हम आपको अंतरिम राहत दे सकते हैं।’
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उच्च न्यायालय ने मुख्य याचिका की सुनवाई तीन जुलाई के लिए स्थगित कर दी है। पीठ ने कहा, ‘हम निर्देश देते हैं कि इस याचिका को 14 जुलाई को सूचीबद्ध किया जाये। यदि किसी भी कारण से, रिट याचिका की सुनवाई अगली तारीख से पहले शुरू नहीं होती है, तो हम याचिकाकर्ता (बिहार) के वरिष्ठ वकील की दलीलें सुनेंगे।’
इससे पहले क्या हुआ था सुप्रीम कोर्ट में
इससे पहले बुधवार को ही बिहार सरकार की इस याचिका पर सुनवाई होनी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय करोल ने खुद को इस सुनवाई से अलग कर लिया था। उनका कहना था कि वो बिहार में चीफ जस्टिस रहते इस मामले में पक्षकार रह चुके हैं। इसके बाद गुरुवार को सुनवाई की अगली तारीख तय की गई थी। इसी पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ये फैसला सुनाया।
Compiled: up18 News
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