शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले में 23,753 नौकरियां रद्द करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद इन सभी शिक्षकों को चार हफ्ते में वेतन भी वापस करना होगा। इन सभी टीचर्स को ब्याज के साथ ये वापस लौटाना होगा।
न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बार राशिदी की खंडपीठ ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को नियुक्ति प्रक्रिया के संबंध में और जांच करने तथा तीन महीनों में एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। पीठ ने पश्चिम बंगाल विद्यालय सेवा आयोग को नई नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश भी दिया।
हाईकोर्ट ने 2016 में जिन शिक्षकों को नौकरियां मिली थी उनके खिलाफ ये आदेश जारी किए गए हैं। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद चुनावी माहौल में बवाल देखने को मिल सकता है। ये सभी टीचर सड़कों पर उतर सकते हैं। ये सभी शिक्षक चुनाव के इस माहौल में सड़कों पर आंदोलन करते हुए दिखाई दिए जा सकते हैं।
कई लोग जा चुके हैं जेल
बता दें कि शिक्षक भर्ती घोटाले में पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और कई तृणमूल पदाधिकारियों के साथ ही राज्य शिक्षा विभाग के कई अधिकारी जेल जा चुके हैं। इस घोटाले को लेकर कोलकाता हाईकोर्ट में कई याचिका दाखिल हुई थी। याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि जिन उम्मीदवारों के नंबर कम थे उन्हें मेरिट लिस्ट में ऊपर स्थान मिला है। इतना ही नहीं कुछ शिकायतें ऐसी भी थीं, जिनमें कहा गया था कि कुछ उम्मीदवारों का मेरिट लिस्ट में नाम न होने पर भी उन्हें नौकरी दे दी गई।
ईडी और सीबीआई कर रही जांच
कोलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद ईडी और सीबीआई दोनों कथित अनियमितताओं की जांच कर रही हैं। यह घोटाला साल 2014 का है और साल 2016 में इसकी प्रक्रिया शुरू हुई थी। तत्काली शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी थे।
हाईकोर्ट में दायर याचिका में दावा किया गया है कि इस भर्ती घोटाले में कुछ ऐसे भी उम्मीदवारों को नौकरी दी गई, जिन्होंने टीईटी परीक्षा भी पास नहीं की थी। जबकि राज्य में शिक्षक भर्ती के लिए टीईटी की परीक्षा पास होना अनिवार्य है। इसी तरह से राज्य में साल 2016 में एसएससी द्वारा ग्रुप डी की 13,000 भर्ती के मामले में शिकायतें मिली थीं।
-एजेंसी
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