इटावा। बहुचर्चित पेसमेकर घोटाले के मुख्य आरोपी सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के डॉ. समीर सर्राफ को बर्खास्त कर दिया गया है। इसी आरोप में डॉ. समीर को पिछले साल गिरफ्तार भी किया गया था।
सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के कार्डियोलॉजी विभाग में तैनात डॉ. समीर सर्राफ पर मरीजों को नकली पेसमेकर लगाने का आरोप है।
यूनिवर्सिटी की 12वीं कार्य परिषद की बैठक 26 नवंबर को कुलपति प्रो. डॉ. प्रभात कुमार सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुई. बैठक में 18 सदस्यों ने डॉ. समीर सर्राफ की सेवा समाप्ति के प्रस्ताव पर सहमति जताई. रविवार को यह निर्णय विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जारी किया गया. डॉ. सर्राफ पर आरोप है, कि उन्होंने हृदय रोगियों को नकली पेसमेकर लगाए और उनकी कीमत एसजीपीजीआई की निर्धारित दर से कई गुना अधिक वसूली. शिकायत मिलने पर जांच कमेटी बनाई गई, जिसने इस अनियमितता की पुष्टि की. यह भी सामने आया, कि गलत पेसमेकर लगाने से कई मरीजों की जान चली गई.
जांच में यह भी पाया गया, कि डॉ. समीर ने 2019 में करीब एक करोड़ रुपये की अनावश्यक चीजें खरीदीं. जिनमें लाखों की धांधली हुई. इसके अलावा, उन्होंने अनधिकृत विदेश यात्राएं कीं, जो उन कंपनियों द्वारा प्रायोजित थीं. जिनसे अनुपयोगी सामान की आपूर्ति की गई थी. घोटाले के सामने आने पर डॉ. समीर को 2022 में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. साथ ही, घोटाले में शामिल अन्य आरोपियों की भी गिरफ्तारी हुई. जिसमें पेसमेकर आपूर्ति करने वाले इंद्रजीत को 7 सितंबर 2024 को गिरफ्तार किया गया.
हालांकि, जांच की गति विभिन्न स्तरों पर धीमी होती रही है. वर्तमान मामले की जांच नए क्षेत्राधिकारी सैफई द्वारा की जा रही है. जांच में भ्रष्टाचार की पुष्टि होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने डॉ. समीर सर्राफ की सेवा समाप्त कर दी और संबंधित पेमेंट रोकने के आदेश दिए. मरीजों और यूनिवर्सिटी की प्रतिष्ठा से खिलवाड़ करने वाले इस मामले ने स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं.
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