गुजरात में कांग्रेस के नेता हार्दिक पटेल ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया है. हार्दिक पटेल ने ट्वीट करके इस बारे में जानकारी दी है.
उन्होंने ट्वीट किया है, “आज मैं हिम्मत करके कांग्रेस पार्टी के पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा देता हूँ. मुझे विश्वास है कि मेरे इस निर्णय का स्वागत मेरा हर साथी और गुजरात की जनता करेगी. मैं मानता हूं कि मेरे इस क़दम के बाद मैं भविष्य में गुजरात के लिए सच में सकारात्मक रूप से कार्य कर पाऊँगा.”
हार्दिक पटेल लंबे समय से कांग्रेस पार्टी से नाराज़ चल रहे थे. अप्रैल महीने में भी उन्होंने कांग्रेस को लेकर टिप्पणी की थी.
हार्दिक पटेल ने कहा था कि उनकी स्थिति पार्टी में उस नए दूल्हे जैसी है, जिसकी नसबंदी करा दी गई हो.
पार्टी पर उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाते हुए हार्दिक पटेल ने कहा था, “मुझे प्रदेश कांग्रेस कमेटी की किसी भी बैठक में नहीं बुलाया जाता, कोई निर्णय लेने से पहले वो मुझसे राय-मशविरा नहीं करते, तब इस पद का क्या मतलब है.”
हार्दिक पटेल ने कहा, “हाल ही में उन्होंने (कांग्रेस) राज्य में 75 नए महासचिव और 25 नए उपाध्यक्षों के नाम घोषित किए. क्या उन्होंने मुझसे एक बार भी पूछा कि हार्दिक भाई आपकी नज़र में कोई मज़बूत नेता इस सूची से ग़ायब तो नहीं है.”
त्यागपत्र में कांग्रेस पर कई गंभीर आरोप लगाए
हिंदी, गुजराती और अंग्रेजी में लिखे त्यागपत्र के अंदर हार्दिक ने कांग्रेस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं.
उन्होंने लिखा है कि यह 21वीं सदी है और भारत विश्व का सबसे युवा देश है. देश के युवा एक सक्षम और मजबूत नेतृत्व चाहते हैं. पिछले लगभग 3 वर्षों से मैंने यह पाया है कि कांग्रेस पार्टी सिर्फ विरोध की राजनीति तक सीमित रह गई है जबकि देश के लोगों को विरोध नहीं, एक ऐसा विकल्प चाहिए जो उनके भविष्य के बारे सोचता हो, देश को आगे ले जाने की क्षमता रखता हो. अयोध्या में प्रभु श्री राम का मंदिर हो, CAA-NRC का मुद्दा हो, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाना हो अथवा GST लागू करने जैसे निर्णय हो, देश लंबे समय से इनका समाधान चाहता था और कांग्रेस पार्टी सिर्फ इसमें एक बाधा बनने का काम करती है.
भारत देश हो, गुजरात हो या मेरा पटेल समाज हो, हर मुद्दे पर कांग्रेस का स्टैंड सिर्फ केंद्र सरकार का विरोध करने तक ही सीमित रहा. कांग्रेस को लगभग देश के हर राज्य में जनता ने रिजेक्ट इसीलिए किया है क्योंकि कांग्रेस पार्टी और पार्टी का नेतृत्व जनता के समक्ष एक बेसिक रोडमैप तक प्रस्तुत नहीं कर पाया.
अपने मोबाइल पर ज्यादा ध्यान देता है कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व
कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में किसी भी मुद्दे के प्रति गंभीरता की कमी एक बड़ा मुद्दा है. मैं जब भी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मिला तो लगा कि नेतृत्व का ध्यान गुजरात के लोगों और पार्टी की समस्याओं को सुनने से ज्यादा अपने मोबाइल और बाकी चीजों पर रहा. जब भी देश देश संकट में था अथवा कांग्रेस को नेतृत्व की सबसे ज्यादा आवश्यकता थी तो हमारे नेता विदेश में थे. शीर्ष नेतृत्व का बर्ताव गुजरात के प्रति ऐसा है, जैसे कि गुजरात और गुजरातियों से उन्हें नफरत हो. ऐसे में कांग्रेस कैसे अपेक्षा करती है कि गुजरात के लोग उन्हें विकल्प के तौर पर देखेंगे?
हर प्रकार से गुजरातियों का सिर्फ अपमान
दुख होता है जब हम जैसे कार्यकर्ता अपनी गाड़ी से अपने खर्च पर दिन में 500-600 किलोमीटर तक की यात्रा करते हैं, जनता के बीच जाते हैं और फिर देखते हैं कि गुजरात के बड़े नेता जो जनता के मुद्दों से दूर सिर्फ इस बात पर ध्यान देते हैं कि दिल्ली से आए हुए नेता को उनका चिकन सैंडविच समय पर मिला या नहीं. युवाओं के बीच मैं जब भी गया तो सभी ने एक ही बात कही कि आप ऐसी पार्टी में क्यों हो जो हर प्रकार से गुजरातियों का सिर्फ अपमान ही करती है, चाहे वह उद्योग के क्षेत्र में हो, चाहे धार्मिक क्षेत्र हो, चाहे राजनीति के क्षेत्र से हो. मुझे लगता है कि कांग्रेस पार्टी ने युवाओं का भी भरोसा तोड़ा है जिसके कारण आज कोई भी युवा कांग्रेस के साथ दिखना भी नहीं चाहता.
मुझे बड़े दुख के साथ कहना पड़ता है कि आज गुजरात में हर कोई जानता है कि किस प्रकार कांग्रेस के बड़े नेताओं ने जानबूझकर गुजरात की जनता के मुद्दों को कमजोर किया और और इसके बदले में स्वयं बड़े आर्थिक फायदे उठाये हैं. राजनीतिक विचारधारा अलग हो सकती है परंतु कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का इस प्रकार बिक जाना प्रदेश की जनता के साथ बड़ा धोखा है.
-एजेंसियां
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