घर-पड़ोस या नाते-रिश्तेदारी में आपने अक्सर ब्रेस्ट कैंसर के मामलों के बारे में सुना होगा, लेकिन कभी सोचा कि यह बीमारी आखिर होती क्यों है? कैसे ब्रेस्ट में कैंसर की एंट्री हो जाती है? दरअसल, जब ब्रेस्ट के टिशूज में सेल्स यानी कोशिकाओं की ग्रोथ असामान्य तरीके से बढ़ने लगती है तो ब्रेस्ट में कैंसर की एंट्री हो जाती हैं. गौर करने वाली बात है कि किसी भी महिला को ब्रेस्ट कैंसर अचानक नहीं होता, बल्कि हर महिला में जन्म के साथ ही ब्रेस्ट टिशूज होते हैं. ऐसे में किसी भी महिला को ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है, जिससे बचने के लिए एहतियात बरतना बेहद जरूरी होता है.
देश-दुनिया में क्या है ब्रेस्ट कैंसर का हाल
स्किन कैंसर के बाद ब्रेस्ट कैंसर ऐसा कॉमन कैंसर है, जिसके सबसे ज्यादा मामले दुनियाभर में सामने आते हैं. हालांकि, राहत की बात यह है कि ब्रेस्ट कैंसर से सर्वाइव करने के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है और डेथ रेट घट रहा है. सिर्फ भारत की बात करें तो लैंसेट की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2019 के दौरान भारत में करीब 12 लाख महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की चपेट में आईं. वहीं, 9.3 लाख ने अपनी जान गंवा दी. सिर्फ एशिया की बात करें तो चीन के बाद भारत दूसरा ऐसा देश है, जहां ब्रेस्ट कैंसर की चपेट में आने वाली महिलाओं और उनकी मौत के मामले सबसे ज्यादा हैं. साल 2019 के दौरान चीन में ब्रेस्ट कैंसर के 48 लाख नए मामले मिले थे. वहीं, 27 लाख महिलाओं की मौत हो गई. तीसरे नंबर पर जापान है, जहां करीब नौ लाख नए मामले मिले और 4.4 लाख की मौत हुई.
पहचानें ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण
देश में ब्रेस्ट कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुए एबीपी लाइव हिंदी ने इस बीमारी के कारण-लक्षण आदि को लेकर कोलकाता के मशहूर ऑन्कोलॉजिस्ट डॉक्टर प्रशांत पाडेय से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि हमें इस बीमारी को लेकर अपनी सोच बदलने की जरूरत है. अधिकतर लोगों को लगता है कि सर्वाइकल या ब्रेस्ट कैंसर तो 60 साल की उम्र वाली महिलाओं को होता है तो हमें डरने की क्या जरूरत. ऐसा नहीं है. यह किसी भी उम्र की महिलाओं को हो सकता है. 16 साल की लड़की से 65-70 साल की बुजुर्ग महिलाओं को भी ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है. खासकर भारत में 5-10 प्रतिशत महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं.
पीरियड्स के बाद ऐसे लगाएं बीमारी का पता
पीरियड्स के बाद महिलाएं सेल्फ एग्जामिन करके भी ब्रेस्ट कैंसर का पता लगा सकती हैं. दरअसल, पीरियड्स के दौरान शरीर में कई सारे हार्मोनल बदलाव होते हैं. यही वजह है कि अक्सर पीरियड्स के बाद सेल्फ एग्जामिन करने के लिए कहा जाता है. आप खुद ब्रेस्ट चेक कीजिए. अगर कहीं पर सख्त नुकीला लंप्स महसूस हो तो आप तुरंत डॉक्टर से मिलें.
इन बातों का भी रखें खास ख्याल
ब्रेस्ट का कलर तो नहीं बदल रहा है.
ब्रेस्ट के निप्पल के कलर में तो कोई बदलाव नहीं आ रहा है.
निप्पल से पस तो नहीं निकल रहा है.
ब्रेस्ट में कहीं भी दर्द तो नहीं है.
ब्रेस्ट के साइज में भी कोई फर्क दिखने पर तुरंत डॉक्टर से बात करें.
ब्रेस्ट में कहीं कठोर-सा लंप्स है, लेकिन वह दर्द नहीं कर रहा, तब भी डॉक्टर को जरूर दिखाएं.
इन महिलाओं को रहता है ब्रेस्ट कैंसर का डर
जिन महिलाओं का वजन तेजी में बढ़ता है या किसी महिला का वजन काफी ज्यादा है तो उन्हें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा रहता है. दरअसल, मोटापा भी ब्रेस्ट कैंसर के मुख्य कारणों में से एक है. वहीं, काफी ज्यादा शराब और सिगरेट पीने वाली महिलाओं को भी ब्रेस्ट कैंसर का खतरा रहता है. बता दें कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के शरीर पर अल्कोहल का असर काफी ज्यादा खतरनाक होता है. अगर किसी महिला की फैमिली में दादी-नानी या मां को ब्रेस्ट कैंसर हुआ है तो यह बीमारी आगे आने वाली जेनरेशन में आ सकती है. ऐसी महिलाओं को अपनी डाइट और लाइफस्टाइल का खास ख्याल रखना चाहिए. वहीं, जिन महिलाओं को पीरियड्स से संबंधित दिक्कतें अक्सर रहती हैं, उन्हें भी ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बना रहता है. दरअसल, हार्मोनल इनबैलेंस या इरेगुलर पीरियड्स की वजह से यह बीमारी हो सकती है. ऐसी महिलाओं को अपनी डाइट का खास ख्याल रखना चाहिए.
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण
एक या एक से अधिक गांठ आपके ब्रेस्ट में महसूस हो रहे हैं. साथ ही साथ यह गांठ काफी ज्यादा कठोर और उसमें अजीब सा दर्द हो रहा है तो वह ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण हो सकते हैं.
कभी-कभी ब्रेस्ट कैंसर में गांठ में दर्दनाक दर्द होता है. और इसे छूने पर दर्द बढ़ने लगता है. तो यह ब्रेस्ट कैंसर के सबसे आम लक्षण हैं. अगर आपको अपने ब्रेस्ट में गांठ फिल हो रहा है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.
निप्पल से डिस्चार्ज निकलना, ब्रेस्ट में दर्द, ब्रेस्ट का कलर चेंज होना ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं.
-एजेंसी
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