पाकिस्तान के अगले आर्मी चीफ़ होंगे आसिम मुनीर

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दिलचस्प है कि उनका लेफ़्टिनेंट जनरल का कार्यकाल, जनरल बाजवा के रिटायरमेंट के दो दिन पहले ही 27 नवंबर को ख़त्म हो रहा है.

ले. जनरल आसिम पहले डीजी आईएसआई के तौर पर भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं. वो फ्रंटियर फ़ोर्स रेजिमेंट से आते हैं.

मरियम औरंगज़ेब ने अपने ट्वीट ने जानकारी देते हुए कहा, “प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने लेफ़्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्ज़ा को चेयरमैन ऑफ़ जॉइंट चीफ़्स नियुक्त किया है. उन्होंने अपने संवैधानिक अधिकार इस्तेमाल करते हुए सैयद आसिम मुनीर को नया आर्मी चीफ़ नियुक्त किया है. इस बारे में राष्ट्रपति को सूचित कर दिया गया है.”

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख़्वाजा आसिफ़ ने ट्वीट कर कहा है, “अब इमरान ख़ान का ये इम्तिहान होगा कि वो वाक़ई देश के रक्षा संस्थानों को मज़बूत करना चाहते हैं या विवाद ही करना चाहते हैं.”

कैसे होता है चयन

पाकिस्तान के संविधान के तहत राष्ट्रपति नए सेना प्रमुख की नियुक्ति करते हैं लेकिन ये औपचारिक शक्ति अधिक है क्योंकि राष्ट्रपति इस निर्णय को प्रधानमंत्री की सलाह पर ही लेने के लिए बाध्य हैं.

इसका मतलब ये है कि सेनाओं का प्रमुख चुनने का अधिकार वास्तविकता में प्रधानमंत्री के पास ही है लेकिन पाकिस्तानी सेना एक ताक़तवर संस्था जो अपने फ़ैसले अधिकतर समय खुद ही लेती है.

वर्तमान सेना प्रमुख जनरल बाजवा के रिटायर होने से कुछ दिन पहले तक नए सेना प्रमुख के नाम पर सस्पेंस बना हुआ था.

नियम ये है कि पीएम के ऑफ़िस को वरिष्ठ जनरलों की सूची भेजी जाती है और प्रधानमंत्री कार्यालय फिर इन नामों की समीक्षा करता है. पीएम इन नामों को ख़ारिज करके और अधिक नाम भी मांग सकते हैं.

एक बार प्रधानमंत्री नाम तय कर लेते हैं तो उसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया जाता है ताकि वो औपचारिक रूप से अनुमति दे सकें. शहबाज़ शरीफ़ ने भी यही किया है.

कुल मिलाकर नियमों के तहत चुनाव मेरिट और वरिष्ठता के आधार पर होता है लेकिन पाकिस्तान में सेना के राजनीति में सीधे और परोक्ष दख़ल देने के इतिहास को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि पाकिस्तान में सेना प्रमुख का चयन सिर्फ़ मेरिट के आधार पर नहीं होता है बल्कि ये राजनीतिक चयन अधिक होता है.

कई बार ऐसा हुआ है जब वरिष्ठता के नियम को नज़रअंदाज़ करके जूनियर जनरल को सेना प्रमुख बनाया गया हो.

लेकिन ऐसे उदाहरण भी हैं जब राजनीतिक वजहों को ध्यान में रखकर की गईं नियुक्तियां भी भारी पड़ी हैं.

Compiled: up18 News