दिल्ली चुनाव में हार पर बोले अरविंद केजरीवाल, जनता का निर्णय सिर-माथे पर, विपक्ष में रह कर जन सेवा करते रहेंगे

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नई दिल्ली। दिल्ली के विधान सभा चुनाव में अपनी हार स्वीकार करते हुए आम आदमी पार्टी के संयोजक एवं पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जनता का निर्णय सिर माथे पर। हम रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएंगे और सेवा भाव के साथ जनता की सेवा करते रहेंगे।

चुनाव में हुए बड़े उलटफेर के बीच अरविंद केजरीवाल ने एक वीडियो संदेश में जीत के लिए भाजपा को बधाई दी और उम्मीद जताई कि भाजपा जनता से किए वायदों को पूरा करेगी। आप संयोजक ने कहा कि हमने दस सालों के अंदर दिल्ली में हर क्षेत्र में बहुत अच्छे कार्य किए। आगे भी हम जनता के सुख-दुख में साथ खड़े दिखेंगे।

आप संयोजक ने कहा कि हम राजनीति में सत्ता के लिए नहीं आए थे, हम तो सेवा करने के लिए आए थे। अब विपक्ष में रहकर भी जनता की सेवा जारी रखेंगे।

भाजपा पर तीखे शब्दबाण चलाते रहे अरविंद केजरीवाल ने भगवा पार्टी को उसकी जीत पर बधाई दी और उम्मीद जाहिर की कि वह उन वादों को पूरा करेगी जो करके सत्ता में आई है। केजरीवाल ने कहा, ‘मैं भारतीय जनता पार्टी को इस जीत के लिए बहुत बहुत बधाई देता हूं। मैं उम्मीद करता हूं कि जिस आशा के साथ लोगों ने बहुमत दिया है वो उनपर पूरा उतरेंगे।’

अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर अपनी सरकार के दौरान हुए कामकाज की तारीफ की। उन्होंने कहा, ‘हमने पिछले 10 साल में जनता ने जो मौका दिया उसमें बहुत काम किए। शिक्षा के क्षेत्र में, स्वास्थ्य के क्षेत्र में, पानी, बिजली और अलग-अलग तरीके से लोगों को राहत पहुंचाने की कोशिश की। दिल्ली के इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी सुधारने की कोशिश की।’

पूर्व सीएम ने कहा कि वह कि वह जनता के सुख दुख में काम आते रहेंगे। उन्होंने कहा, ‘हम समाज सेवा, जनता के सुख दुख में काम आएंगे। क्योंकि हम राजनीति में सत्ता के लिए नहीं आए, हम राजनीति को जरिया मानते हैं जिससे जनता की सेवा कर सकें। हमें आगे भी इस तरह जनता के सुख दुख में काम आना है।’

केजरीवाल ने हार से निराश आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं की भी तारीफ की और कहा कि उन्होंने बहुत मेनत की है। केजरीवाल ने कहा,’मैं आम आदमी पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को बधाई देता हूं, वो बहुत शानदार चुनाव लड़ा। बहुत मेहनत की, बहुत कुछ सहा इस चुनाव के दौरान।’ लगातार तीन बार दिल्ली में सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी इस बार करीब 2 दर्जन सीटों पर ही सिमट गई। भाजपा ने चार दर्जन से अधिक सीटों पर कमल खिलाकर 26 साल बाद वापसी की है।