अरावली की वादियां कभी पर्यटकों का मन मोह लेती थीं। मगर आज अरावली पर्वत शृंखला में अवैध निर्माण के साथ ही धड़ल्ले से खनन हो रहा है। आलम यह है कि माइनिंग माफिया अरावली का सीना चाक कर रहे हैं और पुलिस प्रशासन की ओर से रोक पर खौफनाक वारदातें समाने आती हैं।
फरीदाबाद, गुड़गांव और नूंह में 16 लोकेशन पर अवैध खनन
दरअसल फरीदाबाद, गुड़गांव और नूंह में 16 लोकेशन पर अवैध खनन के सबूत पाए गए थे। पर्यावरणविदों की याचिका पर एनजीटी ने सरकार को सरकार को सर्वे कर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे। इसके लिए एक जॉइंट कमेटी तीनों जिलों में लोकेशन पर जाकर सबूत इकट्ठा कर रही है। इस सर्वे में हरियाणा स्टेट पलूशन कंट्रोल बोर्ड, जिला प्रशासन, माइनिंग डिपार्टमेंट, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अधिकारी शामिल हैं। यह रिपोर्ट 3 महीने के अंदर एनजीटी को देनी होगी। इस मामले में अगली सुनवाई 24 अगस्त को होगी। फरीदाबाद में भी 2 जगहों पर माइनिंग के सबूत मिले हैं। माफिया रात में खनन कर भारी मात्रा में पत्थर, डस्ट ले जा रहा है। इस संबंध में अरावली बचाओ मुहीम ने एनजीटी में याचिका दायर की थी।
हरियाणा में 119 खदानों में से 61 खाली
बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति ने 2018 के नतीजों के अनुसार कहा था कि अरावली पर खनन का विनाशकारी प्रभाव पड़ोसी राजस्थान में देखा गया है, जहां अरावली क्षेत्र की 128 पहाड़ियों में से 31 महज 50 साल की अवधि में खनन के कारण गायब हो गई हैं। बात हरियाणा की करें तो यहां पर कुल 119 खदानें हैं, जिनमें से 61 खाली पड़ी हैं और 49 वर्तमान में चालू हैं। अधिकांश सक्रिय खदानें यमुनानगर, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़ और भिवानी में हैं। सुप्रीम कोर्ट के 2009 के आदेश के बाद गुरुग्राम, फरीदाबाद और नूंह में आधिकारिक तौर पर खनन बंद कर दिया गया।
भू-माफिया पर नहीं है अंकुश
पर्यावरण प्रेमी विष्णु गोयल के मुताबिक अरावली पर्वत शृंखला हरियाणा के 5 जिलों गुड़गांव, मेवात, फरीदाबाद, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ से होकर गुजरती है। फरीदाबाद और गुड़गांव में इसका दायरा काफी बड़ा है। जहां यह असोला से शुरू होकर फरीदाबाद के सूरजकुंड, मांगर बणी, पाली बणी, बड़खल व गुड़गांव के दमदमा तक फैली है। इसका कुल दायरा लगभग 180 वर्ग किमी करीब है। अरावली की पहाड़ियों में जंगलों की तादात काफी है। तमाम प्रजातियों के पेड़ों, वनस्पतियों के साथ ही बड़ी संख्या में जीव जंतुओं को भी यहां शरण मिलती है। अरावली की पुरानी चट्टानों में काफी मात्रा में खनिज भी मौजूद है।
भू-माफिया अरावली में कब्जाकर फार्म हाउस बना रहे हैं और इसकी आड़ में माइनिंग भी कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2009 में ही यहां खनन पर बैन लगा दिया गया था लेकिन इसके बावजूद धड़ल्ले से खनन का सिलसिला जारी है। इससे पर्यावरण के अलावा जीव-जंतुओं को भी नुकसान हो रहा है।
उजड़ जाएगा जीवों का बसेरा
पर्यावरण प्रेमी समर्थ ने बताया कि अरावली में माइनिंग काफी गंभीर विषय है। अरावली एनसीआर के लिए जीवनदायनी है। साफ हवा देने के साथ ही यहां जीव जंतुओं का बसेरा भी है। साल 2017 की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक अरावली के अंदर तेंदुए, लकड़बग्घे, सियार, खरगोश, कस्तूरी बिलाव, लोमड़ी, भेड़िये आदि की संख्या काफी ज्यादा है। अगर पहाड़ पर माइनिंग हो रही है तो इन सभी जीव जंतुओं पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
-एजेंसी