आगरा: विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने कहा कि ताजनगरी के लिए आगरा मेट्रो सबसे उपयोगी परियोजना साबित होगी। श्री कुमार केशव ने कहा कि शहर में मेट्रो सेवा शुरू होने के बाद न सिर्फ सड़कों से वाहनों का भार कम होगा बल्कि गाड़ियों के जरिए होने वाले कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी, जिससे शहर के वातावरण में सुधार आएगा।
पर्यावरण के सभी मानकों को कर रहे पूरा
यूपी मेट्रो के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने कहा कि आगरा मेट्रो के निर्माण कार्यों के दौरान पर्यावरण के सभी नियम एवं मानकों का पालन किया जा रहा है। यूपी मेट्रो द्वारा निर्माण स्थलों पर धूल प्रबंधन हेतु एंटी स्मॉग गन व टैंकर के जरिए लगातार पानी के छिड़काव किया जाता है। इसके साथ ही निर्माण स्थल से बाहर जाने वाली गाड़ियों के टायर धुलने के बाद ही उन्हें बाहर जाने दिया जाता है।
पेड़ बचाना बड़ी जिम्मेदारी
कुमार केशव ने कहा कि अधिक से अधिक पेड़ों को बचाना एवं उनकों संरक्षित करना हमेशा ही यूपी मेट्रो का लक्ष्य रहा है। उन्होंने बताया कि इसी नीति के चलते आगरा मेट्रो टीम द्वारा ताजमहल मेट्रो स्टेशन व डिपो परिसर में निर्मण स्थल के बीच में आ रहे पेड़ों को अन्य जगहों पर ट्रांसप्लांट (शिफ्ट) किया गया है। इसके साथ ही श्री कुमार केशव ने बताया कि यूपीएमआरसी द्वारा लगातार विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर पौधारोपण किया जाता रहा है।
पानी को रीसाइल कर किया जाएगा पुन: प्रयोग
पीएसी स्थित आगरा मेट्रो के प्रथम डिपो परिसर में जीरो डिस्चार्ज पॉलिसी के तहत संयुक्त वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट की मदद से इस्तेमाल हो चुका गंदे पानी को ट्रीट करके पुन: प्रयोग में लाया जाएगा। इस रीसाइकिल्ड पानी को ट्रेनों की सफाई के लिए प्रयोग किया जाएगा। डिपो परिसर में वेस्ट पानी को रीसाइकल करने के लिए एक लाख लीटर की क्षमता वाले संयुक्त ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया है।
रीजेनेरेटिव प्रणाली से बनेगी बिजली
आगरा मेट्रो ईको-फ्रेंडली होने के साथ ही तकनीकी रूप से भी बेहद उन्नत होगी। आगरा मेट्रो ट्रेनों में रीजेनेरेटिव ब्रेकिंग प्रणाली के जरिए बिजली का उत्पादन किया जाएगा, जिसका कुछ ट्रेन में प्रयोग करने के बाद बाकी बिजली को ग्रिड में वासप भेज दिया जाएगा।
वर्षा जल संचयन पर जोर
वर्षा जल संचयन के लिए आगरा मेट्रो द्वारा मीडियन एवं डिपो परिसर में रेन वॉटर हारवेस्टिंग पिट्स बनाए जा रहे हैं। जिससे बारिश के दौरान वायाडक्ट व डिपो में बने भवनों की छतों पर एकत्र होने वाले पानी को ड्रेन पाइप के जरिए इन पिट्स में भेजा जाएगा, इसके बाद पिट्स में एकत्रित पानी बोरिंग के जरिए वापस जमीन में चला जाएगा, जिससे भूगर्भ जलस्तर में सुधार आएगा। वर्षा जल संचयन संयंत्र (रेन वॉटर हारवेस्टिंग सिस्टम) की मदद से एक वर्षा काल में लगभग 10 लाख लीटर पानी को एकत्र कर पिट के जरिए वापस जमीन में पहुंचाया जाएगा।
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