आगरा: अल्पसंख्यक आयोग एक्ट को असंवैधानिक घोषित करने से जुड़ी याचिका स्वीकार होने पर कांग्रेस में रोष

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आगरा: अल्पसंख्यक आयोग एक्ट 1992 और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को असंवैधानिक घोषित करने की मांग वाली याचिका को कोर्ट द्वारा स्वीकार किये जाने से अल्पसंख्यक कांग्रेस कमेटी कार्यकर्ताओं में रोष व्याप्त है। कमेटी के महानगर अध्यक्ष रिहान सैफी के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने शांतिपूर्ण तरीके से जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया और महामहिम राष्ट्रपति के नाम आगरा जिला अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर इस याचिका को निरस्त किए जाने की मांग उठाई।

अल्पसंख्यक कांग्रेस कमेटी आगरा के महानगर अध्यक्ष रिहान सैफी का कहना था कि संघ से जुड़े कुछ संगठन प्रॉक्सी याचिका दायर कर रहे हैं जिन्हें स्वीकार भी किया जा रहा है। इससे डर और अनिश्चितता का माहौल बन गया है।

अल्पसंख्यक आयोग को असंवैधानिक घोषित करने की याचिका जैसे ही स्वीकार की गयी अल्पसंख्यक समाज अपने आप को असुरक्षित महसूस करने लगा है। उनका कहना था कि इस आयोग को असंवैधानिक घोषित करा कर कुछ लोग अल्पसंख्यक समाज के संवैधानिक अधिकारों और सुरक्षा को छीनने की राजनीतिक कोशिश कर रहे हैं।

रिहान सैफी ने कहा है कि पिछले कुछ दिनों में देखा गया है कि मुस्लिम और अल्पसंख्यक समाज से संबंधित जो भी याचिकाएं दायर की गई, न्यायपालिका ने उन्हें स्वीकार कर लिया। ऐसा लगता है कि न्यायपालिका का एक हिस्सा आरएसएस के कहने पर काम कर रहा है। यह संविधान के लिए किसी भी तरह से सही नहीं है।

अल्पसंख्यक कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव साबिर अली का कहना है कि इससे पहले पूजा स्थल अधिनियम 1991 को खत्म करने की भी याचिका दायर की गई है जिस पर भी सुनवाई चल रही है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक आयोग एक्ट 1992 को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के गठन का सवाल है तो भारत संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य जिसने 18 दिसंबर 1992 को अल्पसंख्यकों के अधिकारों के संरक्षण की घोषणा की थी जो राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की घोषणा का वाहक है।