आनंद शर्मा भी बगावती मूड में, कांग्रेस के मेनिफेस्टो प्रोग्राम से किनारा किया

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28 अगस्त को CWC की बैठक में आनंद शर्मा ने कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव को लेकर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था कि ब्लॉक, जिले और राज्य स्तर पर चुनाव नहीं हो रहे हैं। ना तो अध्यक्ष पद के लिए वोटरों की संख्या बताई जा रही है। शर्मा के सवाल उठाने के बाद सोनिया गांधी ने कांग्रेस इलेक्शन कमेटी के चेयरमैन मधुसूदन मिस्त्री को इसे देखने का आदेश दिया था।

G-23 के मुखर नेता रहे हैं शर्मा, राजीव के करीबी रहे

आनंद शर्मा कांग्रेस में बागी गुट G-23 के सबसे मुखर सदस्यों में से एक रहे हैं। शर्मा ने पहली बार G-23 को कांग्रेस की आत्मा बताया था। 2020 से कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ बागी रुख अपनाने वाले शर्मा की गिनती कभी गांधी परिवार के करीबी नेताओं में होती थी।

पेशे से वकील आनंद शर्मा की राजनीति में एंट्री संजय गांधी के समय में हुई थी। बाद में वे पूर्व पीएम राजीव गांधी की कोर टीम में शामिल हो गए। शर्मा हिमाचल प्रदेश से आते हैं, लेकिन वे कभी चुनाव नहीं लड़े।

हिमाचल की लोकल पॉलिटिक्स में शर्मा ने कई बार पकड़ बनाने की कोशिश भी की, लेकिन पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के विरोध की वजह से उनकी कोशिश सफल नहीं हो सकी। कांग्रेस ने 2004 में हिमाचल से, 2010 में राजस्थान से और 2016 में हिमाचल से शर्मा को राज्यसभा में भेजा। शर्मा मनमोहन सरकार में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री रह चुके हैं।

-एजेंसी