उत्तर प्रदेश की जेल में बंद केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को राहत नहीं मिली है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को जमानत देने से इंकार कर दिया. बता दें कि सिद्दिकी कप्पन को अक्टूबर 2020 में हाथरस जाते समय गिरफ्तार किया गया था. मथुरा कोर्ट से झटका मिलने के बाद कप्पन ने इस साल फरवरी में हाईकोर्ट में जमानत की अर्जी दायल की थी, जिस पर पिछली सुनवाई में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.
पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को उत्तर प्रदेश में मथुरा पुलिस ने पिछले 5 अक्टूबर 2020 को गिरफ्तार किया था, जब व उस दलित लड़की के परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए हाथरस के एक गांव जा रहे थे, जिसकी सामूहिक बलात्कार के बाद मौत हो गई थी. उन्हें शांति भंग की आशंका पर गिरफ्तार किया गया था, मगर बाद में उन पर राजद्रोह समेत कई आरोप लगा दिए गए.
दरअसल, यूएपीए और राजद्रोह जैसे सख्त कानूनों के तहत गिरफ्तार हुए केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन की मथुरा कोर्ट से भी जमानत याचिका खारिज हो चुकी है. कप्पन ने मथुरा कोर्ट में जमानत की याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था. कप्पन ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा था कि बिना किसी सबूत के उनके खिलाफ केस दर्ज किए गए. हालांकि, इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, मगर यहां से भी इन्हें निराशा ही हाथ लगी.
किन धाराओं में है केस दर्ज
सिद्दीकी कप्पन पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), राजद्रोह (आईपीसी की धारा 124-ए), धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना (आईपीसी की धारा 153-ए), धार्मिक भावनाओं (आईपीसी की धारा 295-ए) की धारा 17 और 18 और आईटी अधिनियम की धारा 65, 72 और 75 की के तहत आरोप लगाए गए हैं.
क्या हुआ था हाथरस में
दरअसल, हाथरस के बूलगढ़ी गांव में साल 2020 में एक दलित लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने के बाद हत्या करने का मामला सामने आया था, जिसमें 4 लड़कों को गिरफ्तार किया गया था. पीड़िता की मौत के बाद आनन-फानन में पुलिस द्वारा रात में ही शव को जला दिया गया था, जिसे लेकर देशव्यापी प्रदर्शन देखने को मिला था.
-एजेंसी
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