लोकसभा चुनाव में नहीं जमा कराना होगा असलहा, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शस्त्र लाइसेंस धारकों को दी बड़ी राहत

SC-ST एक्ट के दुरुपयोग पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जताई चिंता, यूपी सरकार को निगरानी तंत्र विकसित करने का निर्देश

Regional

उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए कुछ निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने इस एक्ट से जुड़े आर्थिक लाभ पर खास तौर से चिंता जताई है. इसके साथ कोर्ट के ओर से राज्य सरकार को निर्देश देते हुए निगरानी तंत्र बनाने के लिए कहा गया है. कोर्ट ने कहा है कि झूठी शिकायतें देने वालों के खिलाफ इस मामले में कार्रवाई होनी चाहिए.

इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि जब तक निगरानी तंत्र नहीं बनाया जाता है तब तक एफआईआर दर्ज होने से पहले घटना और आरोप का सत्यापन किया जाए. इसके साथ ही वास्तविक पीड़िता को ही सुरक्षा और मुआवजा दिया जाए. झूठी शिकायतों के आधार पर मुआवजा लेने वालों को धारा 182 और 214 के तहत दंडित किया जाए. कोर्ट ने कहा कि यह कानून का दुरुपयोग होने से न्याय प्रणाली पर संदेह और जनविश्वास को लगातार नुकसान पहुंचाता है

क्या है मामला

दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट बिहारी और दो अन्य याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था. इस दौरान जस्टिस मंजू रानी चौहान ने यह टिप्पणी की. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि झूठी शिकायत के होने पर 75 हजार रुपए का मुआवजा लौटाया जाए और दोनों ही पक्षों में समझौता कराने के साथ ही कोर्ट में चल रहे एससी-एसटी एक्ट के मामले को रद्द कर दिया जाए. कोर्ट जिस मामले में सुनवाई कर रहा था वह मामले संभल के कैला देवी थाने से जुड़ा हुआ है. पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी है.

कोर्ट ने सुनवाई करते हुए शिकायतकर्ता को मामले में मुआवजा वापस करने का आदेश दिया है. कोर्ट के ओर से कहा गया कि जिला समाज कल्याण अधिकारी के नाम पर तैयार ड्राफ्ट डीएम के पास जमा कराया जाए. हाईकोर्ट ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसला का जिक्र किया. कोर्ट ने दोनों पक्षकारों के बीच हुए समझौते को सही मानते हुए कहा कि बचा हुआ 25 हजार रुपए का मुआवजा नहीं दिया जाए. अगर कोई झूठा केस दर्ज करके मुआवजा लेता है तो उसे दंडित किया जाए.

-साभार सहित


Discover more from Up18 News

Subscribe to get the latest posts sent to your email.