पौधों को हरा-भरा और मज़बूत रखने के लिए आमतौर पर खाद के साथ साथ खलियों का उचित प्रयोग लाभकारी हो सकता है।
पौधों को पोषक तत्वों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने, फूलों व फलों की गुणवत्ता बढ़ाने, कीड़ों और बीमारियों से पौधों को सुरक्षा प्रदान करने आदि में खलियां बहुत उपयोगी साबित होती हैं। खली को खाद के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
इसमें पौधों के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम तथा जैविक कार्बन जैसे सबसे जरूरी पोषक तत्व भरपूर मात्रा में उपस्थित होते हैं। खली में 8-10% तक तेल का अंश होता है, जो प्राकृतिक रूप से कीटनाशक की तरह काम करता है। इससे पौधों में कीड़े व बीमारियों का प्रकोप नहीं होता है। साथ ही इसके प्रयोग से पौधों में क्लोरोफिल की मात्रा बढ़ जाती है। इससे पौधे हरे भरे रहते हैं और इनका विकास तीव्र गति से होता है। पौधों के लिए मुख्य रूप से सरसों, मूंगफली व नीम की खली का उपयोग खाद अथवा तरल छिड़काव के रूप में प्रयोग किया जाता है।
सरसों की खली
इसे पौधों की बढ़वार के लिए अत्यंत आवश्यक खली माना जाता है। इसे खाद के रूप में मिट्टी में भी डाला जा सकता है। फूल वाले पौधों में हर 15 से 20 दिनों में उपयोग करने से फूल और फल जल्दी लगते हैं। खली के प्रयोग से उनकी गुणवत्ता अच्छी रहती है। इससे जड़ों में फंगस नहीं लगती और पौधे स्वस्थ रहते हैं।
100 ग्राम सरसों की खली को किसी मिट्टी के बर्तन या प्लास्टिक की बाल्टी में 1 लीटर पानी में अच्छे से मिलाकर 2 से 3 दिनों तक छोड़ दें। खली के गलने के बाद तैयार घोल को 5 लीटर पानी में मिलाकर तरल रूप में मिट्टी में डाल दें। 20 ग्राम सरसों की खली के चूर्ण को 500 ग्राम जैविक खाद के साथ मिलाकर उपयोग करें। 20 से 25 ग्राम सरसों की खली के चूर्ण को मिट्टी में मिलाकर गमलों में एक इंच की परत बिछा दें। यह खाद के रूप में काम करेगा।
मूंगफली की खली
पौधों के लिए बहुत लाभकारी है जो नाइट्रोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ ही पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करती है। इसे जैविक खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
100 ग्राम मूंगफली की खली को 1 लीटर पानी में डालकर 2 से 3 दिन के लिए छोड़ दें। इसके बाद इस घोल को छान लें और 2 लीटर पानी में मिलाकर मिट्टी में डाल दें।
नीम की खली
नीम का तेल निकालने के पश्चात बीजों का बचा हुआ भाग नीम की खली कहलाता है। यह हर प्रकार के पौधे के लिए फायदेमंद है। यह पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध कराने के साथ-साथ प्राकृतिक कीटनाशक का भी काम करता है। इसके अलावा इसे खाद के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है। नीम की खली डालने से मिट्टी की क्षारीयता कम होती है। इससे पौधे को चीटियां और फंगस लगने से बचाया जा सकता है।
नीम की खली को बड़े गमलों में 100 ग्राम व छोटे गमलों में 50 ग्राम प्रति पौधा डालें, इसके पश्चात हल्के से पानी का प्रयोग करें। कीटनाशक दवा के रूप में नीम की खली का प्रयोग करने के लिए 1 लीटर पानी में 50 ग्राम नीम की खली घोलकर पूरे पौधों पर छिड़काव करें।
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