राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मिलता है बीमारियों का मुफ्त उपचार
छह बीमारियों को और जोड़ा
आगरा: राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत शून्य से 19 साल तक के बच्चों के स्वास्थ्य का ख्याल रखा जाता है। इसके तहत अब तक दिल में छेद, पीठ पर फोड़ा, कटे हुए होठ, टेढ़े-मेढ़े पैर जैसी 38 बीमारियों का उपचार होता था। लेकिन अब छह और बीमारियों को भी जोड़ा गया है।
आरबीएसके मैनेजर रमाकान्त शर्मा ने बताया कि योजना के तहत 19 साल तक के बच्चों का जन्मजात रोगों सहित अन्य बीमारी का मुफ्त उपचार किया जाता है। अभी तक दिल में छेद, पीठ पर फोड़ा, कटे हुए होठ, टेढ़े मेढ़े पैर होना, जन्मजात मोतियाबिंद या फिर जन्म से सुनने या बोलने की शक्ति न होने आदि का मुफ्त उपचार किया जाता था। अब इसमें टीबी, फेंफड़ों की टीबी, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स डिफिशिएंसी, माइक्रोसिफेली, मैक्रोसिफेली, लैप्रोसी का भी उपचार हो सकेगा। अब कुल 44 प्रकार की बीमारियों का उपचार हो सकेगा।
कटा होठ हुआ ठीक
तुलसी दास का होंठ जन्म से ही कटा हुआ था। परिवार के लोग इसे देखकर परेशान हो गए कि बच्चे को अब जीवनभर परेशानी होगी। मां सुनीता तो अपने बेटे के होंठ को देखकर हमेशा परेशान रहती थीं। अचानक से बच्चे के वैक्सीन लगाने आई टीम ने उन्हें राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के बारे में बताया और बच्चे का मुफ्त में ही ऑपरेशन हो गया। अब पांच महीने का तुलसीदास आम बच्चों की तरह स्माइल करता है.
रमाकान्त शर्मा ने बताया कि इसी तरह से अकोला ग्राम नौमील निवासी गोपाल सिंह के नौ माह की बेटी जैन्या के दिल में छेद था। उनका इस योजना के तहत अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी डीईआईसी विभाग में सर्जरी की गई। अब बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है।
क्षेत्रीय आशा को बताएं
रमाकान्त शर्मा ने बताया कि यदि किसी बच्चे को कोई जन्मजात विकृति या अन्य बीमारी है तो अपने क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता को जानकारी दें। बच्चे की जांच की जाएगी। यदि बच्चे को परेशानी होगी तो उसे हायर सेंटर में रेफर किया जाएगा और बीमारी का उपचार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आरबीएसके की टीम भी स्कूलों और ऑंगनवाड़ी केन्द्रों में जाकर और अन्य स्थानों पर सर्वे करके ऐसे बच्चों का डाटा जुटाएगी, जो पहले उपचार नहीं करवा पाए। उनकी जांच कराकर ऐसे बच्चों का उपचार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आरबीएसके योजना के तहत 2019 से 2022 तक कुल 42 बच्चों की सर्जरी की जा चुकी है। इनमें किसी के दिल में छेद था तो किसी की पीठ पर जन्म से फोड़ा था.।
की जाती है स्क्रीनिंग
रमाकान्त शर्मा बताते हैं कि योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में बच्चों के जन्म के समय ही उनकी स्क्रीनिंग की जाती है। इसके साथ ही आशा कार्यकर्ता बच्चे के घर जाकर सात बार बच्चे की स्क्रीनिंग करती है। यदि बच्चे में जन्म से 19 साल तक कोई परेशानी हो तो उसका उपचार किया जाता है।
इन बीमारियों को आरबीएसके में जोड़ा गया
-टीबी
– फेंफड़ों की टीबी
– विटामिन बी कॉम्पलेक्स डिफिशिएंसी
– माइक्रोसिफेली
– मैक्रोसिफेली
– लैप्रोसी
-up18news