Agra News: उटंगन नदी बनेगी जीवनधारा: रेहावली बांध योजना से सैकड़ों गांवों को मिलेगा जल समाधान

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बटेश्वर। आगरा जनपद में बढ़ते पेयजल संकट और गिरते भूगर्भ जल स्तर पर बटेश्वरनाथ मेले के दौरान आयोजित पत्रकार सम्मेलन और संगोष्ठी में समाधान स्वरूप एक ठोस प्रस्ताव उभर कर सामने आया — उटंगन नदी में जल संचय और रेहावली बांध योजना का निर्माण।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. मंजू भदौरिया ने कहा कि यदि उटंगन नदी पर रेहावली गांव में बांध बनाया जाता है, तो यह न केवल जनपद के सैकड़ों गांवों को पेयजल संकट से उबार सकता है बल्कि भूजल स्तर में सुधार लाने में भी मददगार साबित होगा।

मुख्य वक्ता ज्ञानेंद्र रावत ने बताया कि उटंगन नदी जनपद की तीसरी सबसे बड़ी नदी है और भूगर्भीय रिचार्ज की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। मानसून में यमुना नदी के लो फ्लड लेवल पर पहुंचने के बाद उटंगन नदी में यमुना का पानी बैक करता है, जिससे लगभग 17 किलोमीटर तक जल भराव रहता है। इस पानी को यदि रेहावली गांव में बांध बनाकर रोका जाए तो किसानों, भूगर्भ जल और शमशाबाद-फतेहाबाद जैसे नगर निकायों को मीठा पानी उपलब्ध कराया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि यह योजना न केवल पेयजल संकट का समाधान होगी, बल्कि बटेश्वर धाम जैसे धार्मिक स्थलों पर यमुना में ताजे जल की आपूर्ति के लिए भी लाभदायक रहेगी।

भूजल सुधार और कृषि लाभ

रावत ने बताया कि गेटिड स्ट्रक्चर वाले बांध से किसानों को सिंचाई के लिए नियंत्रित रूप में पानी उपलब्ध कराया जा सकेगा। इससे दूर-दराज़ के गांवों में हैंडपंप फिर से चालू हो सकते हैं और भूजल स्तर स्थिर रहेगा।

सिविल सोसाइटी की पहल

सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा के सचिव अनिल शर्मा ने कहा कि उटंगन एक अंतरराज्यीय नदी है, जिसे राजस्थान में “गंभीर नदी” के नाम से जाना जाता है। यमुना और चंबल के बाद यह जनपद की तीसरी सबसे बड़ी नदी है, लेकिन भूजल रिचार्ज के लिहाज से सबसे अहम है। सोसाइटी ने रेहावली, पिढौरा, अरनौटा और सिरौली गांवों में नदी की ड्रोन मैपिंग कराई है ताकि बांध निर्माण की योजना को साकार किया जा सके।

इतिहास और आस्था से जुड़ी नदी

यह नदी करौली (राजस्थान) की सपोटरा पहाड़ियों से निकलकर भरतपुर, किरावली, फतेहपुर सीकरी, खेरागढ़, सैंया, शमशाबाद और फतेहाबाद होते हुए यमुना में मिलती है। बरसात के दिनों में यह नदी भरपूर जलराशि के साथ बहती है, जबकि गर्मियों में सिकुड़ जाती है।

डॉ. भदौरिया ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से रेहावली बांध निर्माण का मुद्दा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर बटेश्वर में उठाया था और बाद में लखनऊ में भी इसकी औपचारिक मांग की गई थी।

खारी नदी का योगदान

संगोष्ठी में यह भी बताया गया कि फतेहपुर सीकरी के दक्षिण-पश्चिम से आने वाली खारी नदी उटंगन की सबसे बड़ी सहायक धारा है, जो फतेहाबाद के मोतीपुरा गांव में उटंगन से मिलती है। मानसून के दौरान इसमें भरपूर जलराशि होती है, जो बाद में भूगर्भीय स्तर को बढ़ाने में मदद करती है।

जनभागीदारी पर बल

प्रदेश के उपाध्यक्ष श्याम सुंदर पाराशर और शंकर देव तिवारी ने कहा कि जनपद में जल संरक्षण और जलराशि के सदुपयोग के लिए उटंगन नदी सबसे बड़ी संभावना है। यदि सरकार और समाज मिलकर इस योजना पर काम करें तो आगरा के सैकड़ों गांवों में पानी की समस्या स्थायी रूप से हल हो सकती है।

अंत में सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे विष्णु सिकरवार ने सभी पत्रकारों और अतिथियों का आभार व्यक्त किया और बटेश्वर धाम पर भगवान भोलेनाथ के दर्शन कर कार्यक्रम का समापन किया।

निष्कर्ष:

उटंगन नदी पर प्रस्तावित रेहावली बांध योजना न केवल आगरा जनपद के जल संकट का समाधान बन सकती है, बल्कि यह क्षेत्रीय भूगर्भ जलस्तर, सिंचाई और धार्मिक आस्था तीनों के बीच एक संतुलित जल प्रबंधन का उदाहरण पेश कर सकती है।