आगरा के जिला अस्पताल में मरीज को दिखाने के लिए एक रुपए का पर्चा लेकिन दवाइयां 350 रुपये की। जी हां, आगरा के जिला अस्पताल में ऐसे मामले रोज देखने को मिल जाते है। जब मरीज के एक हाथों में जिला अस्पताल की सरकारी दवा तो दूसरे हाथ में बाहर केमिस्ट से खरीदी हुई दवा पकड़े हुए होंगे। जिला अस्पताल की सरकारी दवा तो नि:शुल्क है लेकिन बाहर की दवा की कीमत सुनेंगे तो आप भी चौंक जाएंगे। बाहर की दवा की कीमत 200 से लेकर ₹500 तक हो सकती है। ऐसे ही एक महिला मरीज से वार्ता हुई तो उसने बताया कि सरकारी दवा के अलावा बाहर से लगभग 350 रुपये की दवा खरीद कर लाई है।
आगरा का जिला अस्पताल जहां प्रतिदिन हजारों की तादाद में मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। यहां मरीज सोचते हैं कि उन्हें सरकारी अस्पताल में सस्ता और बेहतर इलाज मिल जाएगा लेकिन जब वह सरकारी अस्पताल में इलाज करवाते हैं और चिकित्सक से किसी रोग के बारे में परामर्श लेते हैं। तब उसे पता चलता है कि उसकी जेब पर डाका डल रहा है। चिकित्सक उस मरीज को बीमारी से संबंधित सरकारी दवा तो लिखते हैं लेकिन उसके साथ साथ बाहर की दवा भी लिख देते हैं जिसकी कीमत इतनी होती है कि मरीज भी अपने आप को ठगा महसूस करता है।
कमीशन का खेल
जानकारी के मुताबिक जो सरकारी चिकित्सक बाहर की दवाइयां लिख रही हैं, उनमें कमीशन का पूरा पूरा खेल है। कमीशन की चलते ही बाहर की दवाइयां लिखी जाती हैं जिससे प्राइवेट कंपनी की दवा खरीदी जाएं और उनका कमीशन बन सके।
आगरा का जिला अस्पताल वैसे तो सरकारी है लेकिन इसको प्राइवेट बनाने में यहां के चिकित्सक कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इसीलिए तो जिला अस्पताल में सभी रोगों की सभी दवाइयां मौजूद होने के बाद भी चिकित्सक बाहर की दवाइयां लिख रहे हैं। मरीज भी सोचते हैं कि वह इलाज के लिए सरकारी अस्पताल आए जिससे उनका खर्चा बच सके ₹1 का पर्चा बना लेकिन दवाइयां जिनकी कीमत सुनकर वह भी हैरान हो गए। लेकिन चिकित्सक ने दवाइयां लिखी तो उन्हें खरीदनी पड़ी।
सीएमएस आई हरकत में
बाहर की दवाइयों को लेकर सीएमएस अनीता शर्मा भी हरकत में दिखाई दे रही हैं लेकिन लगता है कि सरकारी चिकित्सकों पर उनका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। इसलिए तो बेखौफ होकर बाहर की दवाइयां सरकारी चिकित्सक लिख रहे हैं। जब इस संबंध में उनसे वार्ता हुई तो उनका कहना था कि जिला अस्पताल के चिकित्सक ऐसा नहीं कर सकते। अगर ऐसा कर रहे हैं तो वह उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि ऐसे चिकित्सकों के खिलाफ शासन को भी लिखा जाएगा जिससे उन पर सख्त कार्रवाई हो सके।
एक चिकित्सक ने दी सफाई
बाहर की दवाइयां सरकारी चिकित्सक द्वारा लिखे जाने पर एक चिकित्सक सफाई भी देते हुए नजर आए। चिकित्सक का कहना था कि जब मरीज सरकारी दवाई से ठीक नहीं होता तो वह स्वयं ही बाहर की दवाई लिखने के लिए बोलता है। इसलिए उन्हें लिखनी पड़ती हैं। अगर मरीज नहीं बोलेगा तो वह बाहर की दवाई क्यों लिखेंगे।
Discover more from Up18 News
Subscribe to get the latest posts sent to your email.