आगरा शहर में भी मकर संक्रांति पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में चले जाते हैं। इसी दिन से खरमास (Kharmas) खत्म हो जाता है और शुभ काम फिर से शुरू हो जाते हैं। मकर संक्रांति के दिन गंगा में स्नान करना और दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन लोगों द्वारा घरों में गुड़ और तिल के लड्डू बनाये और खाये जाते हैं। इस पर्व से जुड़ी जो बहुत प्रसिद्द है वो है इस दिन पतंग उड़ाना। संक्रांति के दिन शहर भर में खूब पतंगे उड़ाई गई। कही-कहीं तो पतंगबाजी की प्रतियोगिताएं आयोजित हुई। पतंगबाजी पतंगबाजी में अपने दांव पर दिखाएं तो वही मनोरंजन का साधन भी लोगों के लिए यह बना रहा।
बाजारों में ₹10 से लेकर ₹120 तक की पतंग
मकर संक्रांति के पर्व पर पतंगों का बाजार भी खूब गर्म रहा। बाजारों में जमकर पतंगों की खरीददारी हुई। ₹10 से लेकर ₹120 तक की कीमत की पतंग बाजार में मौजूद थी। लोगों ने बढ़ चढ़कर अपने अनुसार पतंगे खरीदी और पतंगबाजी की। मकर संक्रांति पर पतंगों की अच्छी खरीदारी होने से पतंग का व्यापार कर रहे दुकानदार भी काफी उत्साहित नजर आए। उनका कहना था कि सुबह 7:00 बजे से ही पतंग बाद पतंगों को खरीदने दुकानों पर जमा होने लगे।
उज्जैन से आई ₹120 की पतंग
₹120 की कीमत वाली पतंग सभी लोगों के आकर्षण का केंद्र रही। क्योंकि यह पतंग कागज की नहीं बल्कि कपड़े की बनी हुई थी। लोग कागजों की पतंग को तो पसंद कर रहे थे। वहीं कपड़े की इस पतंग को भी खरीद रहे थे। ₹120 की कीमत वाली कपड़े की पतंग खरीदने वाले पतंग बाद से वार्ता हुई तो उसका कहना था कि वह बचपन से ही पतंग उड़ाने का शौकीन रहा है। बचपन में वह आएदिन पतंग उड़ाया करता था लेकिन अब सिर्फ मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाता हूँ। आज मकर संक्रांति का पर्व है और इस पर्व को मनाने के लिए आज भी पतंगे खरीदी हैं।
क्यों उड़ाई जाती है पतंग
मकर संक्रांति पर पूरे देश में पतंग उड़ाई जाती है, इसलिए इसे पतंग पर्व भी कहा जाता है। संक्रांति पर पतंग उड़ाने का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों महत्व है। दक्षिण भारत में पौराणिक ग्रंथ के अनुसार भगवान श्रीराम ने पतंग उड़ाने की परंपरा की शुरुआत की थी। ऐसा उल्लेख मिलता है कि भगवान श्रीराम ने जो पतंग उड़ाई थी, वो इंद्र लोक में चली गई थी। इसके बाद से आज भी इस परंपरा को निभाया जा रहा है।
वैज्ञानिक महत्व
अगर बात करें वैज्ञानिक दृष्टिकोण की तो पतंग उड़ाने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है। पतंग उड़ाने से दिमाग और दिल का संतुलन बना रहता है। पतंग को धूप में उड़ाया जाता है, जिससे हमारे शरीर को विटामिन-डी भरपूर मात्रा में मिलता है और स्किन से सम्बंधित बीमारियां नहीं होती हैं।
मकर संक्रांति का पर्व ठण्ड में पड़ता है और ठण्ड में हमारे शरीर में कफ की मात्रा बढ़ जाती है और त्वचा भी रूखी हो जाती है। मकर संक्रांति पर सूर्य देव उत्तरायण हो जाते हैं। इस समय सूर्य की किरणें औषधि का काम करती हैं। इसलिए इस पर्व पर पतंग उड़ाने को शुभ माना जाता है।
कोरोना काल के बाद अब दिख रहा है उत्साह
मकर संक्रांति के पर्व पर पतंग उड़ाने के दौरान सुनील गोयल से वार्ता हुई। उनका कहना था कि कोरोना संक्रमण के 2 वर्ष ऐसे बीते कि कोई भी पर अच्छे से नहीं बन पाया था लेकिन अब कोरोना वायरस की रफ्तार कम हो रही है। इसीलिए हर पर्व हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। आज भी मकर संक्रांति के पर्व को सभी लोग मिलजुलकर मना रहे हैं। एक तरफ लोगों को खिचड़ी वितरित की जा रही है तो वहीं दूसरी ओर पतंग बाज खूब पतंग उड़ा रहे हैं छोटे से लेकर बुजुर्ग तक पतंगबाजी करने में लगे हुए हैं। ऐसा लगता है कि पतंग सभी को सर्व धर्म सद्भावना का संदेश दे रही हो और इससे एक भाईचारे का संदेश जा रहा हो। इसीलिए तो हर वर्ग का व्यक्ति पतंगों को उड़ाने में आज व्यस्त नजर आ रहा है।
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