आगरा। थाना स्तर पर पुलिस अपनी सी पर उतर आए तो पीड़ित को अधिकारी भी न्याय नहीं दिला पाते। नेचुरोपैथ डॉ. पीके सिंह को इन्हीं हालातों से गुजरकर बच्चों के साथ आत्महत्या करने जैसी बात कहनी पड़ी है। डॉक्टर को ऐसा बयान देने के लिए मजबूर किया है शाहगंज पुलिस और क्राइम ब्रांच ने। डॉ. सिंह द्वारा लिखाए गए दो मुकदमे इन्हीं दोनों के पास दबे पड़े हैं।
डॉ. पीके सिंह का आरोप है कि दूसरी शादी के नाम पर उनके साथ धोखा हुआ। तंग आकर पुलिस की शरण ली। पहले तो शाहगंज पुलिस ने रिपोर्ट ही नहीं लिखी। डीसीपी सिटी के आदेश के बाद भी नहीं लिखी। डीसीपी को फोन पर कहना पड़ा, तब रिपोर्ट दर्ज हुई। इसी प्रकार उन्हें एलआईयू तैनात दरोगा जो कि उनकी पत्नी का भाई है, ने धमकियां दीं। यह रिपोर्ट भी शाहगंज पुलिस ने नहीं लिखी। सीजेएम कोर्ट ने आदेश दिए, तब भी नहीं लिखी। मजबूरन पुनः सीजेएम कोर्ट में गुहार लगानी पड़ी, तब एफआईआर हुई। अब पुलिस इन मामलों को दबाए बैठी है।
डॉ. पीके सिंह का कहना है कि 2019 में पहली पत्नी से तलाक होने के बाद वर्ष 2022 में उन्होंने दूसरी शादी के लिए शादी डॉट कॉम पर प्रोफाइल डाला था। इसी प्लेटफार्म पर गाजियाबाद की आयशा सिंह से उनकी बात हुई। आयशा ने अपने प्रोफाइल में खुद को शिक्षिका बता रखा था। 8 अगस्त 2022 को वे आयशा सिंह के परिवार के बुलाने पर गाजियाबाद गए। जब वे वहां पहुंचे तो आयशा सिंह का परिवार पूरी तैयारी के साथ था। शादी संबंधी सारे कागजात पहले से तैयार कर रखे थे। उन्होंने उस समय इतनी जल्दबाजी पर ध्यान नहीं दिया था और उसी दिन दोनों की शादी हो गई।
इसी दिन आयशा सिंह उनके साथ आगरा आ गई। यहां आकर उन्हें अपने साथ हुए धोखे का पता तब चला जब उनके सामने खुलासा हुआ कि जिन्हें आयशा सिंह समझकर वह पत्नी बनाकर घर लाए हैं, उनका असली नाम अर्चना विशष है और वह शिक्षिका न होकर एक अधिवक्ता है। इसके बाद भी उन्होंने कुछ नहीं कहा। अर्चना विशेष के साथ उनके पहले पति से पैदा बेटा भी उनके घर आया था। पहली रात ही अर्चना का दबाव था कि उसके बेटे के नाम संपत्ति कर दी जाए और 50 लाख रुपये और दिए जाएं। इंकार करने पर घर के सामान की तोड़फोड़, मारपीट जैसी घटनाएं भी की जाने लगीं। यहां तक कि उन्हें और उनकी बेटी को खाने में धीमा जहर दिया जाने लगा।
डॉ. पीके सिंह बताते हैं कि तंग आकर वे डीसीपी सिटी से मिले और अर्चना विशेष के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए प्रार्थना पत्र दिया। डीसीपी सिटी ने थाना शाहगंज को रिपोर्ट के लिए आदेशित किया, लेकिन थाना पुलिस ने रिपोर्ट नहीं लिखी। वे फिर डीसीपी सिटी के पास गए तब रिपोर्ट लिखी गई। इसके बाद पुलिस ने उनकी रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की तो उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर तफ्तीश को क्राइम ब्रांच में ट्रांसफर करा दिया। क्राइम ब्रांच भी कोई कार्यवाही नहीं कर रही। शाहगंज थाना और क्राइम ब्रांच अर्चना विशेष के बड़े भाई पुलिस इंसपेक्टर विकास विशेष (आगरा एलआईयू में तैनात) के दबाव में मामले को ठंडे बस्ते में डाले हुए है।
इसी दौरान अर्चना विशेष ने गाजियाबाद की कोर्ट में उनके खिलाफ मेंटीनेंस का केस डाल दिया था। वे तारीख पर गाजियाबाद गए तो वहां उन पर हमला किया गया। वे गाजियाबाद के पुलिस कमिश्नर से मिले, तब से वे जब भी गाजियाबाद जाते हैं, तब उन्हें पुलिस द्वारा सुरक्षा दी जाती है।
डॉ. पीके सिंह का कहना है कि उनके द्वारा की जा रही पैरवी से बौखलाकर अर्चना विशेष के बड़े भाई आगरा के एलआईयू इंसपेक्टर विकास विशेष ने उन्हें व्हाटएप चैटिंग में जान से मारने की धमकियां दीं। इसके बाद उन्होंने फिर से पुलिस को मुकदमा लिखाने के लिए तहरीर दी। शाहगंज पुलिस ने इस बार भी रिपोर्ट नहीं लिखी तो वे मजबूरन कोर्ट की शरण में गए।
सीजेएम न्यायालय ने उनके प्रार्थना पत्र पर 17 जनवरी को मुकदमा दर्ज करने का आदेश शाहगंज पुलिस को दिया, लेकिन थाना पुलिस ने फिर भी रिपोर्ट नहीं लिखी। उन्होंने दोबारा सीजेएम कोर्ट में गुहार लगाई, तब कोर्ट के दखल पर रिपोर्ट हो सकी।
पीड़ित डॉ. पीके सिंह का कहना है कि उनकी पहली रिपोर्ट पर क्राइम ब्रांच पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है जबकि दूसरी रिपोर्ट को शाहगंज पुलिस दबाए बैठी है। वे अपना जीवन खतरे में मानकर घर से भी नहीं निकल रहे। क्लीनिक बंद हो चुका है। उनकी बेटी का स्कूल छूट गया है। उनका कहना है कि अर्चना विशेष द्वारा उनके साथ की गई मारपीट की सीसीटीवी फुटेज, क्लीनिक का ताला तोड़कर वहां से जरूरी कागजात और कीमती ले जाने के सबूत वे पुलिस को दे चुके हैं, फिर भी उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा है।
अगर उन्हें न्याय न मिला तो बेटी के साथ आत्महत्या करने के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं होगा। इंसपेक्टर विकास विशेष के खिलाफ भी सबूत दे चुके हैं। डॊ. सिंह का कहना है कि उन्हें न्याय तभी मिल पाएगा जब कोई वरिष्ठ अधिकारी दोनों मुकदमों की जांच करे।