आगरा। “हमारे ऊपर सरकारी इतिहास थोपा गया। वास्तविक इतिहास से हमें दूर रखा गया। इतिहास ने जो विभूतियां दीं, उनका सम्मान होना चाहिए। सरकार के दबाव में इतिहासकारों ने इतिहास के सच्चे नायकों के साथ न्याय नहीं किया”। यह कहना है कुलपति प्रो केएस राना का। वह आगरा कॉलेज के इतिहास विभाग द्वारा राष्ट्रवाद पर आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
उन्होंने आगे कहा कि इस प्रकार की संगोष्ठियों से इतिहास को नई दिशा मिलेगी। इतिहास के परिमार्जन की आवश्यकता है। इतिहासकारों ने जो भूल की है उसे वर्तमान पीढ़ी नए तरीके से शोध करके सुधार सकती है।
मुख्य वक्ता अलीगढ़ के इतिहासकार फिरोज नकवी ने ब्रज क्षेत्र के क्रांतिकारी आंदोलन पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आगरा कॉलेज 200 वर्ष पूरे कर रहा है, ऐसे अवसर पर इस क्षेत्र में स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले क्रांतिकारियों के योगदान को समाज के सम्मुख लाने की आवश्यकता है। इसके लिए आगरा कॉलेज के शोधार्थी अपना अमूल्य योगदान प्रदान कर सकते हैं।
विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ बीआर आंबेडकर विश्वविद्यालय इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो बीडी शुक्ला ने तिलक और गांधी के राष्ट्रवाद के अंतर को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि आजादी से पूर्व हम छोटे-छोटे राज्यों में बंटे जरूर थे, लेकिन फिर भी हम एक राष्ट्र थे। अंग्रेजों ने राज्यों को अलग-अलग समझने की भूल की, परिणामस्वरूप एक जबरदस्त राष्ट्रीय आंदोलन का पतन हुआ। बीडी जैन कन्या महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो वंदना अग्रवाल एवं प्रो वाईएन त्रिपाठी ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रो अनुराग शुक्ला ने कहा कि इस संगोष्ठी के माध्यम से विद्यार्थियों को राष्ट्रवाद से नए सिरे से परिचय करने का अवसर प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि इतिहास को कोसकर नहीं वरन बलिदान करके समझा जा सकता है।
स्वागत भाषण संयोजक प्रो महावीर सिंह तथा अतिथियों का आभार आयोजन सचिव प्रो निशा राठौर ने किया। समापन समारोह का संचालन प्रो सुनीता रानी घोष ने किया। संगोष्ठी की 2 दिन की रिपोर्ट डा अनुराग पालीवाल ने रखी। डा आरपी सिंह, डा उमेश शुक्ला, डा केशव सिंह, डा शैलेंद्र सिंह, डा आनंद प्रताप सिंह आदि ने मंचस्थ अतिथियों का स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया।
मीडिया समन्वयक प्रो अमित अग्रवाल ने बताया कि संगोष्ठी में 250 प्रतिनिधियों ने पंजीकरण कराया। शोधार्थियों द्वारा प्रस्तुत सभी शोध पत्रों को पुस्तिका के रूप में प्रकाशित किया जाएगा। संगोष्ठी के अंत में सर्वोत्तम शोध पत्र प्रस्तुत करने वाले कृष्ण कुमार, जितेंद्र सिंह, नीरज कुमार सिंह एवं कु गीता को प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
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