आगरा। आर्य समाज के 150वें स्थापना दिवस के अवसर पर लोहामंडी रोड स्थित होटल विश्वास में जिला आर्य प्रतिनिधि सभा द्वारा आयोजित समारोह का रविवार को समापन हो गया। इस अवसर पर एटा गुरुकुल से पधारे डॉ. वागीश आचार्य ने कहा कि वेद ईश्वर की वाणी हैं, जो सृष्टि की उत्पत्ति के समय ऋषियों को प्राप्त हुई थीं। यदि मनुष्य वेदों के मार्ग पर चले तो उसके जीवन में कभी दुःख नहीं आ सकते
अजमेर से आए आचार्य श्रद्धानन्द शास्त्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि वेदों को मानना ईश्वर की आज्ञा का पालन करना है और यही सच्ची भक्ति है। वेदों में संपूर्ण जीवन का सार छिपा है और उनके निर्देशों पर चलकर ही उच्च कोटि के समाज की स्थापना की जा सकती है।
कार्यक्रम के संयोजक सीए मनोज खुराना ने बताया कि प्रातः 8 बजे से ब्रह्मा मथुरा से आए स्वामी विश्वनंद द्वारा 21 कुण्डीय विश्व कल्याण यज्ञ संपन्न कराया गया, जिसमें भजन और विद्वानों के प्रवचनों के माध्यम से वैदिक ज्ञान की अमृत वर्षा हुई। समापन अवसर पर आर्य समाज में निरंतर सहयोग करने वाले अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
भजन और संकीर्तन ने बाँधा समां
भजनोपदेशिका ज्योति आर्या ने हारमोनियम के मधुर तरानों पर “उठो दयानन्द के सिपाहियों समय पुकार रहा”, “ए ऋषि याद आए जमाना तेरा”, “मैं पत्थर पूजा ना करूं मेरा ईश्वर में विश्वास” जैसे भक्तिगीतों से संकीर्तन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से विजयपाल सिंह चौहान, विजय अग्रवाल, सुधाकर गुप्त, राजीव दीक्षित, कान्ता बंसल, आनंद शर्मा, वीरेंद्र कनवर, अवनींद्र गुप्ता, विकास आर्य, यतेंद्र आर्य, अश्वनी दूबे, अनुज आर्य, गोपाल प्रसाद अग्रवाल, भारतभूषण सामा, प्रदीप कुलश्रेष्ठ, सोम शास्त्री, वीरेंद्र आर्य, राम प्रकाश नमस्ते आदि गणमान्य उपस्थित रहे।