Agra News: एडीए ऑफिस के बाहर किसानों का मजमा, जमकर नारेबाजी

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आगरा। इसे कहते मुसीबत को गले लगाना। आगरा विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने दो दिन पहले रुनकता और अकबरा के किसानों की बात सुन ली होती तो आज सुबह एडीए ऑफिस के बाहर किसानों का मजमा न बढ़ा होता। शुक्रवार को चंद किसान अपनी बात सुनाने के लिए एडीए ऒफिस पहुंचकर धरने पर बैठे थे। उनसे किसी ने बात नहीं की। उल्टे शनिवार शाम एडीए दफ्तर के गेटों पर ताला डाल दिया। इसकी प्रतिक्रिया यह हुई कि आज एडीए ऑफिस के बाहर धरना देने वाले किसानों की संख्या अचानक बहुत बढ़ गई। जयपुर हाउस जैसी कॉलोनी के बीचोंबीच इस आंदोलन से कॉलोनीवासियों को भी दिक्कत होने लगी है।

रुनकता और अकबरा गांव के किसान दोनों गांवों के बीच बसी ऒस्था सिटी के डेवलपर की शिकायत लेकर एडीए के सामने आंदोलित हैं। इन किसानों का कहना है कि आस्था सिटी के डेवलपर ने दोनों गांवों के चकरोड को तोड़ दिया है और चकरोड की जगह पर गेट लगा दिया है। किसानों का कहना है कि इससे वे अपने खेतों तक ट्रैक्टर लेकर नहीं पहुंच पा रहे।

किसानों का कहना है कि उन्होंने इस बारे में कई बार प्राधिकरण उपाध्यक्ष से शिकायत की। उपाध्यक्ष ने अधीनस्थों को इस बारे में निर्देश भी दिए, लेकिन हुआ कुछ नहीं। कोई सुनवाई न होने पर ही दोनों गांवों के चंद किसान शुक्रवार को एडीए ऑफिस पर धऱना देने पहुंचे थे।

इन किसानों ने वीसी ऑफिस के बाहर बरामदे में अपना बिछौना बिछा दिया था। शुक्रवार को एडीए ऑफिस बंद होने के बाद भी ये किसान यहीं जमे रहे। रात भी वहीं बिताई। किसानों का धरना एक दिन का ही था, लेकिन एडीए का कोई अधिकारी उनसे बात करने भी नहीं आया तो उन्होंने एक दिन के धरने को बेमियादी घोषित कर दिया था।

शनिवार को दिन भर भी किसान यहां जमे रहे। शाम के समय धरनारत किसानों में से पांच-छह किसी काम से एडीए ऑफिस के बाहर गए। दो किसान अंदर ही थे। इसी बीच एडीए के कर्मचारी ने गेट पर ताला डाल दिया। बाहर गए किसान लौटे तो उन्होंने गेट बंद देखा।

इस पर उन्होंने गेट को फलांग कर अंदर जाने की कोशिश की। इस पर एडीए की ओर से पुलिस को बुला लिया गया। वहां काफी देर तक हंगामे की स्थित बनी रही। बाद में अंदर बंद दो किसान भी बाहर आ गए थे और इन्होंने एडीए के गेट के बाहर ही अपना बिछौना बिछा दिया था।

एडीए द्वारा धरनारत किसानों के लिए गेट बंद कर दिए जाने की प्रतिक्रया यह हुई कि आज अकबरा और रुनकता के दर्जनों अन्य किसान एडीए ऑफिस पर धऱना प्रदर्शन करने पहुंच गए। आज सुबह से प्राधिकरण के बाहर धरना दे रहे किसान रह-रह कर नारे लगा रहे हैं।

धरनास्थल पर अचानक किसानों की संख्या बढ़ने से जयपुर हाउस में प्राधिकरण कार्यालय के सामने की सड़क संकरी हो गई है क्योंकि सड़क पर ही किसान बैठे हुए हैं।

किसान-मजदूर नेता चौधरी दिलीप सिंह ने बताया कि अगर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने परसों ही किसानों से बात कर ली होती तो आज यह नौबत पैदा न होती। प्राधिकरण अधिकारी हमारी जायज बात भी सुनने को तैयार नहीं हैं। अगर अब भी एडीए अधिकारियों की तंद्रा भंग न हुई तो किसान मण्डलायुक्त कार्यालय की तरफ कूच करेंगे।

राष्ट्रीय मजूदर परिषद के जिलाध्यक्ष धीरज सिकरवार ने कहा कि एडीए अधिकारी इतनी सी बात क्यों नहीं समझ रहे कि चकमार्ग को तोड़े जाने से किसान खेतों तक नहीं पहुंच पा रहे। दोनों गांवों की सरकारी जमीन और आगरा विकास प्राधिकरण के जोनल रोड पर गेट बनाकर अबैध कब्ज़ा लिया गया है।

धरने में शामिल किसानों में पंकज सिकरवार, शिवम रावत, प्रदीप सिकरवार, जसवंत परमार, विकास परमार, शैलेन्द्र सिकरवार, हर्ष सिकरवार, राधामोहन सिंह, लव सिकरवार, अरुण सिकरवार,गौरव राजावत, सुधीर परमार, धर्मेंद्र परमार, नकुल सिकरवार आदि प्रमुख हैं।