आगरा: पराली से उत्तर प्रदेश पंजाब के साथ अन्य राज्यों के किसान भी परेशान है। पराली जलाते हैं तो वायु प्रदूषण अधिक होता है और प्रशासन कार्यवाही करता है लेकिन इस पराली का सदुपयोग कोलकत्ता से आगरा आये मूर्तिकार कर रहे है। नव दुर्गा फेस्टिवल को लेकर माँ दुर्गा की इको फ्रेंडली प्रतिमाएं बना रहे है। इन प्रतिमाओं को बनाने में इस पराली का ही उपयोग किया जा रहा है।
पानी में गल जाती है पराली
नामनेर स्थित दुर्गा मंदिर में इको फ्रेंडली प्रतिमाएं बना रहे मूर्तिकारों में बताया कि पराली और मिट्टी को मिलाकर प्रतिमा का ढांचा तैयार किया जाता है। पराली और मिट्टी से मिलाकर प्रतिमा का ढांचा बनाने के बाद उनमें इको फ्रेंडली रंग का उपयोग किया जाता है। कारीगरों ने बताया कि मिट्टी और पराली से प्रतिमा बनाने के दो फायदे है। एक प्रतिमा विसर्जन के दौरान नदी प्रदूषित नहीं होगी तो दूसरी ओर पराली जो किसानों के लिए सिरदर्द है उसका भी निस्तारण आसानी से हो जाता है। उन्होंने बताया कि पानी में पराली गल जाती है और मिट्टी पानी में बह जाती है।
मिले है सैकड़ों ऑर्डर
मूर्तिकार ने बताया कि इको फ्रेंडली की डिमांड लगातार बढ़ती चली जा रही है। सैकड़ो लोगों ने ऑर्डर पर मां दुर्गा की प्रतिमा बनवाई हैं। सभी प्रतिमाएं इको फ्रेंडली है। पराली और मिट्टी से यह प्रतिमा बनाई गई है, साथ ही इको फ्रेंडली कलर का भी उपयोग किया जा रहा है जो विसर्जन के दौरान पानी को प्रदूषित नहीं करता।
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