आगरा। भारतीय जनता के संगठनात्मक चुनाव में एक बड़ा फैसला लिया गया है, जिसमें उन जिलाध्यक्षों के दो कार्यकाल मान लिए गए हैं जो वर्ष 2019 में पहली बार जिलाध्यक्ष बनाए गए थे और 2022 के यूपी विधान सभा चुनाव से पहले जिन्हें कार्यकाल विस्तार दे दिया गया था। ऐसे जिलाध्यक्षों को अब इस बार के संगठनात्मक चुनाव में जिलाध्यक्ष पद का दावेदार नहीं माना जाएगा। पार्टी के इस फैसले से आगरा के जिलाध्यक्ष गिर्राज सिंह कुशवाह और महानगर अध्यक्ष भानु महाजन जिलाध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर हो जाएंगे।
उत्तर प्रदेश भाजपा की ओर से इस बारे में प्रदेश के समस्त जिलों के चुनाव प्रभारियों और संगठन प्रभारियों को भी सूचित कर दिया गया है। पार्टी नेतृत्व के इस फैसले से यूपी के अधिकांश जिलाध्यक्ष प्रभावित होंगे क्योंकि 2022 के विधान सभा चुनाव से पहले अधिकांश जिलाध्यक्षों का कार्यकाल यूपी के चुनाव को देखते हुए बढ़ा दिया गया था। ये सभी वर्ष 2019 में जिलाध्यक्ष बने थे।
भाजपा में संगठन के जिलाध्यक्ष पद का कार्यकाल तीन साल का होता है। इस हिसाब से यूपी के मौजूदा जिलाध्यक्षों का कार्यकाल तो 2021 में ही पूरा हो गया था, लेकिन उस समय कोरोना की वजह से पार्टी संगठनात्मक ढांचे पर ध्यान नहीं दे पाई थी। इसके साथ ही 2022 की पहली तिमाही से यूपी में चुनाव की गतिविधियां शुरू होनी थीं, इसलिए पार्टी ने उस समय नये जिलाध्यक्ष बनाने का विचार त्यागकर तत्कालीन जिलाध्यक्षों को ही कार्यकाल का विस्तार दे दिया था।
अब 2024 में संगठन के चुनाव हो रहे हैं। 2019 में जो जिलाध्यक्ष बने थे, वे पांच साल तक इस पद रह चुके हैं, इसीलिए पार्टी ने इन सभी के पांच साल के कार्यकाल की गणना दो कार्यकाल के रूप में करते हुए इन सभी को जिलाध्यक्ष न बनाने का फैसला किया है। बता दें कि भाजपा में कोई भी एक व्यक्ति दो बार से ज्यादा जिलाध्यक्ष नहीं रह सकता। यह नियम प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय अध्यक्ष पर भी लागू होता है।
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