आगरा: चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस के प्रयासों से एक माता-पिता को होली से पहले बड़ा उपहार मिल गया। उनका बेटा 12 दिन से लापता था जो राजकीय बाल गृह आगरा में निरुद्ध था। चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट नरेश पारस को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने अपने एक मित्र के सहयोग से बिहार में उस बालक के परिजनों को ढूंढ निकाला। उसके परिजनों को आगरा बुलाया गया कानूनी प्रक्रिया को पूरा कर बच्चे को सौंपा गया। जैसे ही माता पिता को उनका बच्चा मिला, उनकी आंखों से खुशी के आंसू नहीं रुके। बेटे को गले लगा कर मां खूब रोई और बेटे के मिलने के लिए नरेश पारस को धन्यवाद भी ज्ञापित किया।
पिछले 12 दिनों से बिहार का एक बालक राजकीय बाल गृह आगरा में निरुद्ध था। वह कागरोल में लावारिस घूमते हुए मिला था। जिसे पुलिस ने बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया। बाल कल्याण समिति के आदेश पर बालक को राजकीय बाल गृह में आवासित करा दिया गया। काउंसलिंग में बच्चे ने अपना पता गांव का नाम चरका पत्थर तथा राज्य बिहार बताया। इसके अलावा वह कुछ भी नहीं बता पा रहा था। वह अपने जिले का भी नाम नहीं बता पा रहा था। ऐसे में बच्चे का पता ढूंढ रहा बहुत मुश्किल हो रहा था।
चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस को इस मामले की जानकारी हुई तो उन्होंने झारखंड की संस्था साथी के कालेश्वर मंडल से संपर्क किया। उनकी मदद से बच्चे के परिवार को ढूंढ निकाला गया। बच्चे के परिजनों को आगरा बुलाया गया। परिजन जैसे ही बाल गृह में बच्चे के सामने पहुंचे तो बच्चा दौड़ कर मां से लिपटकर रोने लगा। कहने लगा मां मुझे ले चलो। यह देखकर पिता की आंखों से भी आंसू बह निकले। बाल गृह में मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो गई।
बाल कल्याण समिति ने लिखा पढ़ी करके बच्चे को परिजनों के सुपुर्द कर दिया। इस दौरान बाल कल्याण समिति के सदस्य निमेष बेताल सिंह, अर्चना उपाध्याय, बालगृह के अधीक्षक ऋषि कुमार सहित कर्मचारी तथा नरेश पारस मौजूद रहे। बिछड़ा हुआ बच्चा पाकर मां-बाप बहुत खुश थे। उनका कहना था कि बच्चा उन्हें होली के त्यौहार पर उपहार के रूप में मिला है। यह होली यादगार बन गई। परिजन नरेश पारस को बार-बार धन्यवाद दे रहे थे।
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