Agra News: गधापाड़ा रेलवे मालगोदाम मामले में 24 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, सीईसी करेगी अपनी रिपोर्ट पेश

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आगरा। गधापाड़ा रेलवे मालगोदाम के परिसर से हरे पेड़ों को उजाड़े जाने की मामले की जांच करने आई सीईसी (सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी) की दो सदस्यीय टीम के सामने एक बात तो साफ हो गई है कि मालगोदाम की जमीन लीज पर दिए जाने से पहले पूरा परिसर बहुत हरा-भरा था और अब वहां पेड़ों की जड़ें तक नहीं बची हैं। परिसर में एक आईलैंड की हरियाली देखकर सीईसी टीम को अंदाजा हो गया कि वहां कैसी हरियाली रही होगी।

सीईसी अब अपनी रिपोर्ट तैयार कर सुप्रीम कोर्ट में पेश करेगी। कल की विजिट से पहले सीईसी अपने दिल्ली स्थित कार्यालय में तीन बैठकें भी इसी मसले को लेकर कर चुकी थी। अब सभी की निगाहें 24 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिक गई हैं।

पर्यावरणविद डॊ. शरद गुप्ता मालगोदाम परिसर से हरे पेड़ों को काटे जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। सर्वोच्च न्यायालय ने यह मामला सीईसी के पास भेज दिया था। टीटीजेड होने के कारण आगरा में हरे पेड़ों को सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बगैर काटा नहीं जा सकता। मालगोदाम की जमीन की लीज का आवंटन पत्र जारी होते ही रातोंरात परिसर से दर्जनों पेड़ काट दिए गए। यही नहीं, जेसीबी से उनकी जड़ें तक उखड़वा दी गईं ताकि कोई सबूत ही न बचे।

सीईसी की पिछली बैठक में मालगोदाम की जमीन को लीज पर लेने वाले गणपति बिल्डर को भी बुलाया गया था। गणपति की ओर से पहुंचे डाइरेक्टर ने कह दिया था कि पेड़ उन्होंने नहीं काटे। उन्होंने आशंका जताई थी कि आसपास के लोग पेड़ काट ले गए होंगे।

कल सीईसी की टीम जब यहां का विजिट करने पहुंची तो उनके साथ डॉ. शरद गुप्ता भी थे। डॉ. गुप्ता ने सीईसी के सदस्यों को मालगोदाम के आसपास के मकान दिखाकर कहा कि क्या इन आलीशान घरों को देखकर लगता है कि ये घरों में लकड़ी का चूल्हा जलता होगा और क्या ये मालगोदाम से हरे पेड़ों को काटेंगे।

टीम के सदस्यों ने डीएफओ से जानकारी मांगी तो उन्होंने टीम के समक्ष मालगोदाम की पूर्व की वे सेटेलाइट तस्वीरें पेश कीं जिन्हें पूरे परिसर में हरे-भरे पेड़ खड़े दिखाई दे रहे हैं। डीएफओ ने पेड़ कटने के बाद की भी तस्वीर दिखाई।


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