आगरा: उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन द्वारा टॉप डाउन प्रणाली के तहत सभी 7 भूमिगत मेट्रो स्टेशनों का निर्माण किया जा रहा है। इस प्रणाली में बिना शटरिंग का प्रयोग किए सभी भूमिगत स्टेशनों के दोनों तलों की छत का निर्माण होगा। फिलहाल, प्रायोरिटी कॉरिडोर के भूमिगत मेट्रो स्टेशन आगरा फोर्ट पर डायफ्राम वॉल का निर्माण किया जा रहा है, जबकि ताजमहल एवं जामा मस्जिद मेट्रो स्टेशन पर डी वाल के निर्माण को लेकर तैयारी की जा रही है।
टॉप डाउन प्रणाली बेहद किफायती है
यूपी मेट्रो के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने बताया कि आगरा मेट्रो के सभी भूमिगत मेट्रो स्टेशनों का निर्माण टॉप डाउन प्रणाली के तहत किया जा रहा है। कुमार केशव ने बताया कि भूमिगत स्टेशनों के निर्माण की अन्य प्रणालियों की तुलना में टॉप डाउन प्रणाली बेहद किफायती है, इस प्रणाली में समय की बचत के साथ ही लागत भी कम आती है। उन्होंने बताया कि टॉप डाउन प्रणाली में पहले स्टेशन के कॉन्कोर्स लेवल एवं उसके बाद प्लेटफॉर्म लेवल का निर्माण किया जाता है। इस प्रणाली में छत की कास्टिंग के लिए शटरिंग का प्रयोग नहीं किया जाता बल्कि भूमि को समतल कर शटरिंग की तरह प्रयोग किया जाता है।
कैसे होता है भूमिगत स्टेशन का निर्माण
भूमिगत स्टेशन के निर्माण के लिए सबसे पहले स्टेशन परिसर हेतु चिन्हित भूमि पर अलग-अलग जगहों से बोरिंग कर मिट्टी के नमूने लिए जाते है। इन नमूनों की जांच के बाद स्टेशन बॉक्स (स्टेशन परिसर का कुल क्षेत्रफल) की मार्किंग की जाती है। इसके बाद स्टेशन परिसर की डॉयफ्राम वाल (बाउंड्री वॉल) के निर्माण के लिए गाइडवॉल बनाई जाती है। गाइड वॉल का प्रयोग डी वॉल को सही दिशा देने के लिए किया जाता है, डी वॉल के निर्माण के बाद इसे हटा दिया जाता है।
खास मशीन से होती है डी वॉल की खुदाई
गाइड वॉल के निर्माण के बाद एक खास मशीन से डी वॉल की खुदाई की जाती है। खुदाई पूरी होने का बाद उस जगह में सरियों का जाल (केज) का डाला जाता। इसके बाद कॉन्क्रीट डाल कर डायफ्राम वॉल का निर्माण किया जाता है। टॉप डाउन प्रणाली के तहत एक बार जब स्टेशन परिसर की डायफ्राम वाल का निर्माण पूरा हो जाता है, तो फिर ऊपर से नीचे की ओर निर्माण कार्य प्रारंभ होते हैं।
भूमि को समतल कर कॉन्कोर्स की छत का निर्माण होता है
टॉप डाउन प्रणाली में सबसे पहले ग्राउंड लेवल पर भूमि को समतल कर कॉन्कोर्स की छत का निर्माण किया जाता है। इस दौरान ग्राउंड लेवल की स्लैब में कई जगहों पर खुला छोड़ा जाता है। जब प्रथम तल (कॉन्कोर्स) की छत बनकर तैयार हो जाती है, तो खाली जगहों से मशीनों के जरिए मिट्टी की खुदाई शुरू की जाती है। इसके बाद कॉन्कोर्स तल की खुदाई पूरी हो जाने पर फिर मिट्टी को समतल कर प्लेटफॉर्म लेवल की छत का निर्माण किया जाता है। इस स्लैब में भी कुछ खाली जगह छोड़ी जाती हैं, जहां से फिर मशीनों के जरिए प्लेटफॉर्म लेवल की खुदाई कर स्टेशन परिसर का निर्माण किया जाता है।
तेजी से चल रहा है निर्माण कार्य
फिलहाल, आगरा फोर्ट मेट्रो स्टेशन पर तेज गति के साथ डायफ्राम वाल का निर्माण किया जा रहा है। गौरतलब है कि ताज ईस्ट गेट से सिकंदरा के बीच बन रहे प्रथम कॉरिडोर में कुल सात भूमिगत स्टेशनों का निर्माण किया जाना है। उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटिड द्वारा इन सात स्टेशनों के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी हो गई है। एफकॉन इन्फ्रास्ट्रक्चर लि.-सैम इंडिया बिल्ट वैल प्रा. लि. मिलकर आगरा मेट्रो के सात भूमिगत स्टेशनों का निर्माण कर रहे हैं।
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