आगरा: जैन समाज की ओर से श्रुत पंचमी का पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर छीपीटोला समिति की ओर से आयोजित कार्यक्रम में जैन समाज के लोगों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। इस कार्यक्रम में गणिनी आर्यिका श्री 105 विशुद्धमती माताजी ने भाग लिया। सभी ने उनके सानिध्य में प्रभु की पूजा आराधना की। श्रुत पंचमी पर्व का आयोजन हाल ही में छीपीटोला क्षेत्र में खाली कराई गई नेताजी की टाल पर किया गया जो अब कानूनी तौर पर श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर छीपीटोला समिति की है।
श्रुत पंचमी पर्व की यह है मान्यता
श्रुत पंचमी जैन धर्म का प्रमुख त्यौहार है। जैन धर्म के अनुसार इस दिन पहली बार जैन धर्म के ग्रंथ को लिखा गया था। मान्यतानुसार श्री पुष्पदंत जी महाराज एवं मुनि श्री भूतबली जी महाराज ने करीब 2000 वर्ष पूर्व गुजरात के गिरनार पर्वत की गुफाओं में ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी के दिन जैन धर्म के प्रथम ग्रंथ श्री षटखंडागम की रचना पूर्ण की थी। इसी कारण ज्येष्ठ शुक्ल के पांचवें दिन श्रुत पंचमी मनाई जाती है। जैन मुनियों के अनुसार श्रुत पंचमी पर्व ज्ञान की आराधना का महान पर्व है।
श्रुत पंचमी क्यों मनाई जाती है
एक कथा के अनुसार दो हजार वर्ष पहले जैन धर्म के एक संत धरसेनाचार्य को अचानक यह अनुभव हुआ कि उनके द्वारा अर्जित जैन धर्म का ज्ञान केवल उनकी वाणी तक सीमित है। उन्होंने सोचा कि शिष्यों की स्मरण शक्ति कम होने पर ज्ञान वाणी नहीं बचेगी। ऐसे में मेरे समाधि लेने से जैन धर्म का संपूर्ण ज्ञान खत्म हो जाएगा। तब महामुनी धरसेनाचार्य ने पुष्पदंत एवं भूतबलि की सहायता से षटखंडागम की रचना की और उसे ज्येष्ठ शुक्ल की पंचमी को प्रस्तुत किया। इस शास्त्र में जैन धर्म से जुड़ी कई अहम जानकारियां हैं। इस ग्रंथ में जैन साहित्य, इतिहास, नियम आदि का वर्णन है।
क्या होता है श्रुत पंचमी के दिन
इस पावन दिवस पर श्री धवल महाधवलादि ग्रंथों को विराजमान कर श्रद्धा व भक्ति से महोत्सव के साथ उनकी पूजा-अर्चना विधि विधान से की जाती है और सिद्धभक्ति का पाठन किया जाता है। इस दिन जैन धर्म के लोग पीला वस्त्र धारण करके जिन वाणी की शोभा यात्रा निकालते हैं। सभी जैन साधुओं के संघों में परंपरा से शास्त्र का अभिषेक दर्पण में किया जाता है।
लोगों को किया गया सम्मानित
लगभग 30 वर्षों से नेताजी की टाल की जमीन को लेकर अदालत में केस चल रहा था। इस केस को लेकर समिति की ओर से 9 लोगों की टीम गठित की गई थी। केस को जीतने के बाद श्रुत पंचमी के पर्व के दौरान उन सभी 9 लोगों को सम्मानित किया गया जिन्होंने इस केस को लड़ा और मंदिर कमेटी को जमीन दिलवाई।
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