आगरा। समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन के आवास पर विगत दिवस करणी सेना द्वारा किये गये विरोध प्रदर्शन के दौरान हुए बवाल में सभी इस बात को लेकर हैरानी जता रहे हैं कि बाहर से आए करणी सेना के नेता आगरा में इतना बड़ा प्रदर्शन कर गये और पुलिस कुछ नहीं कर पाई।
सबसे बड़ी बात यह है कि सोशल मीडिया पर विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया गया और बड़ी संख्या में लोग इसके लिए जुट गये। इस विरोध प्रदर्शन में आगरा के लोगों का प्रतिनिधित्व नाम मात्र को था।
करणी सेना के नेता ओकेंद्र सिंह राणा (हरियाणा) और वीर प्रताप सिंह वीरू (लखनऊ) ने कल के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था। आगरा में भी क्षत्रिय सभा समेत कई राजपूत संगठन एक्टिव हैं, लेकिन इन संगठनों के सदस्यों की विरोध प्रदर्शन में भागेदारी नहीं दिखी। कल विरोध प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किये गये करणी सैनिकों में भी ज्यादातर फिरोजाबाद, एटा, हाथरस, भरतपुर समेत दूसरे जिलों के थे। हरियाणा के लोग भी आगरा पहुंचे थे।
आगरा के क्षत्रिय समाज के लोग भले ही इस विरोध प्रदर्शन में नहीं थे, लेकिन मौके से जब दर्जनों लोगों की गिरफ्तारी हो गई तो स्थानीय क्षत्रिय नेता एक्टिव हो गये। इनमें भाजपा से जुड़े नेता भी शामिल थे। गिरफ्तार लोगों की जानकारी के लिए लोग हरीपर्वत थाने पहुंचे तो वहां उन्हें कोई नहीं मिला। पुलिस के अधिकारी भी गिरफ्तार लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं दे रहे थे।
भाजपा के वरिष्ठ नेता संजय चौहान, मुनेंद्र जादौन, क्षत्रिय नेता जितेंद्र सिकरवार, क्षत्रिय सभा के पूर्व जिलाध्यक्ष आरपी सिंह जादौन के अलावा क्षत्रिय समाज के कई अधिवक्ता भी एक्टिव थे। सभी ने भागदौड़ कर पता लगा लिया कि कितने लोग गिरफ्तार किये गये हैं और कहां पर रखे गये हैं। थाना एत्मादुद्दौला में 12 लोग पुलिस ने बैठा रखे थे।
नेताओं ने थाने पहुंचकर पूछा कि जब ये लोग सांसद सुमन के आवास तक नहीं गये हैं तो फिर इन्हें थाने में क्यों बैठा रखा है। दरअसल पुलिस ने इन लोगों को रामबाग क्षेत्र से ही पकड़ लिया था। नेताओं का दबाव बढ़ा तो पुलिस को इन दर्जन भर लोगों की रिहाई करनी पड़ी।
गिरफ्तार किये गये शेष लोगों को पुलिस ने ट्रांसपोर्ट नगर पुलिस चौकी पर बैठा रखा था। क्षत्रिय समाज के नेता ट्रांसपोर्ट नगर चौकी पहुंचे और सभी गिरफ्तार लोगों से उनका हाल-चाल जाना। चौकी पर बैठाकर रखे गये लोगों को यहां से हरीपर्वत थाने ले जाया गया और देर रात तक इनकी जमानत पर रिहाई की प्रक्रिया चलती रही। सभी को जमानत पर छुड़वाने के बाद ही क्षत्रिय समाज के नेता अपने घरों को वापस लौटे।
गिरफ्तार करणी सैनिकों को पुलिस अधिकारी कोर्ट में पेश करने के मूड में थे, लेकिन स्थानीय नेताओं की ओर से इस तरह के संकेत मिलने लगे थे कि अगर आज रात ही सभी की रिहाई न हुई तो फिर कल से आंदोलन का रुख पुलिस की ओर मुड़ सकता है। इसके बाद ही अधिकारियों ने सभी को रात में निजी मुचलके पर रिहा किया।
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