यूपी में भाजपा की चुनावी हार के बाद प्रदेश में हरकत में आया संघ, एकसाथ बदले कई वरिष्ठ प्रचारकों के केंद्र

National

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले शताब्दी वर्ष में संघ ने अपने पंच परिवर्तन पर आधारित विषयों को लेकर समाज के बीच में उतरने का फैसला किया है। वहीं, शताब्दी वर्ष मनाने से पहले अपने जमीनी प्रचारकों की टीम को मजबूत करने का काम भी शुरू कर दिया है। इसके तहत उप्र में संघ के कई वरिष्ठ प्रचारकों के केंद्र में बदलाव किया गया है।

निरालानगर स्थित सरस्वती कुंज में आयोजित संघ की चार दिवसीय बैठक के दूसरे दिन बृहस्पतिवार को सरकार्यवाह दत्रात्रेय होसबाले की मौजूदगी में शताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों पर चर्चा हुई। वहीं, वरिष्ठ प्रचारकों के कार्यक्षेत्र में बदलाव भी किए गए। सूत्रों के मुताबिक संघ की ओर से मंडल स्तर तक शाखा विस्तार का लक्ष्य पूरा नहीं होने के मद्देनजर यह बदलाव किया गया है। पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के सह क्षेत्र संपर्क प्रमुख मनोज कुमार का केंद्र अयोध्या से हटाकर गोरखपुर किया गया है। मनोज अवध और काशी प्रांत में भी सह प्रांत प्रचारक रह चुके हैं।

इसी तरह अखिल भारतीय सह गो सेवा प्रमुख नवल किशोर का केंद्र प्रकृति भारती मोहनलालगंज लखनऊ में किया गया है। वह अभी गोरखपुर में थे। पूर्वी क्षेत्र के सेवा प्रमुख युद्धवीर को सुल्तानपुर से हटाकर सेवा भारती कार्यालय काशी, मुख्य मार्ग संपर्क प्रमुख राजेन्द्र सक्सेना का केंद्र काशी से लखनऊ और पर्यावरण प्रमुख अजय कुमार का केंद्र काशी किया गया है। पूर्वी क्षेत्र के प्रचारक प्रमुख राजेन्द्र सिंह का केंद्र कानपुर से हटाकर भारती भवन लखनऊ किया गया है। लंबे समय से उनका केंद्र कानपुर था।

इन पंच परिवर्तन पर रहेगा खास फोकस

बैठक में तय किया गया शताब्दी वर्ष में पूरे साल जमीन पर पंच परिवर्तन पर खास फोकस किया जाएगा। संघ के इन पांच आयामों में सामाजिक समरसता, परिवार प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी व नागरिक कर्तव्य शामिल हैं। संघ कार्यकर्ता इन्हीं पांच विषयों को लेकर समाज के बीच जाएंगे और इसके तहत कार्य भी करेंगे।

वसुधैव कुटुम्बकम का ध्येय भी रहेगा ध्यान

शताब्दी वर्ष के लिए तय कार्यक्रमों में वसुधैव कुटुम्बकम पर भी खास ध्यान रखने पर चर्चा हुई है। बैठक में इस बात पर चिंता व्यक्त की गई कि गई समाज में परिवार की व्यवस्था बिखरती जा रही है। बदलते माहौल में संयुक्त परिवार अब एकल परिवार बनते जा रहे हैं, इसलिए सपिरवार सामूहिक भोजन, भजन, उत्सवों और तीर्थाटन का आयोजन, स्वदेशी का आग्रह, पारिवारिक व सामाजिक परंपराओं का संवर्धन व संरक्षण के प्रति लोगों जागरूक करने के कार्यक्रमों पर अधिक फोकस किया जाना चाहिए।

Compiled by up18news