आगरा। स्पाइसी शुगर संस्था के बहुप्रतीक्षित सीजन 6 की शुरुआत इस बार अभिनेता राजीव खंडेलवाल के बेबाक लम्हों पलों के साथ कुछ खास रही। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद अभिनेता राजीव खंडेलवाल, ने न सिर्फ अपने धारावाहिक ‘कहीं तो होगा’ के दिनों को याद किया, बल्कि अपने जीवन के कई अनसुने किस्से भी साझा किए।
होटल होली डे इन में आयोजित इस कार्यक्रम में संस्था की संस्थापक पूनम सचदेवा के साथ उनकी संवादात्मक जुगलबंदी दर्शकों को रोमांचित करती रही। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई, जिसके बाद पावनी सचदेवा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। राजीव ने उन्हें बुलाने के लिए जब धन्यवाद देना चाहा तो उपस्थित महिलाओं ने सुजल-सुजल की ध्वनि से उनका स्वागत किया।
सुजल के पीछे का इंसान
साक्षात्कार राउंड में पूनम सचदेवा ने जैसे ही राजीव से उनके बचपन और करियर के शुरुआती दौर के बारे में पूछा, राजीव ने बेहद आत्मीयता से बताया कि वो पढ़ाई में टॊप टेन बच्चों में रहते थे लेकिन कुछ अलग करने का जुनून उनमें शुरू से था। उनके दोस्तों में लड़कियां ज्यादा रहीं। उन्होंने यह भी साझा किया कि कैसे कभी-कभी वॉश बेसिन की चेन को एसेसरी बनाकर पार्टी में चले जाया करते थे। उन्होंने कहा कि बचपन में लेखन के शौक ने उन्हें एक निबंध प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार दिलवाया, जिसे उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से प्राप्त किया।
हर सफलता देती है प्रेरणा कुछ नया करने की
अभिनेता राजीव खंडेलवाल ने बताया कि उनके पिता आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल थे। अनुशासन बचपन से ही मिला लेकिन अपनी अलग पहचान बनाने की ललक उन्हें पहले दिल्ली ले गई, जहां तमाम ऑडिशन भी दिए और दो वर्ष तक डॉक्यूमेंट्री फिल्में बनाई। इसके बाद जब जेब खाली हो गई तो मुंबई का रुख किया। इससे पूर्व पंजाब में नंदू का चिराग नाम से एक सीरियल किया।
‘सुजल’ छोड़ना जरूरी था
जब पूनम सचदेवा ने ‘कहीं तो होगा’ के लोकप्रिय किरदार सुजल को छोड़ने के पीछे की वजह पूछी तो राजीव ने साफ कहा, सुजल से मुझे जो प्यार मिला, वो बेशकीमती है, लेकिन एक कलाकार के रूप में विस्तार की तलाश थी। उन्होंने यह भी बताया कि शो की निर्माता शोभा कपूर ने उन्हें शो न छोड़ने के लिए दोगुनी फीस ऑफर की थी, लेकिन वह कहानी के लिए ज्यादा उत्सुक थे, पैसा उनके लिए कभी प्राथमिकता नहीं रहा।
‘सच का सामना’ और आंसू
कार्यक्रम के दौरान एक सवाल ‘सच का सामना’ शो को लेकर भी आया, जिस पर राजीव ने बताया, शो स्क्रिप्टेड नहीं था, सवाल वहीं बनते थे। कई बार जवाब सुनकर मेरी भी आंखें नम हो जाती थीं।
इंडस्ट्री का अनकहा सच: कास्टिंग काउच और नेपोटिज्म
राजीव खंडेलवाल ने इस मौके पर फिल्म इंडस्ट्री के कड़वे सच को भी उजागर किया। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री में नेपोटिज्म, फेवरिटिज्म और कास्टिंग काउच जैसी समस्याएं आज भी हकीकत हैं। उन्होंने कहा, जब टैलेंट होता है, तब भी इन चुनौतियों से गुजरना पड़ता है। आत्मविश्वास ही असली हथियार है।
महिलाओं ने भी जमकर पूछे सवाल
संस्था की सदस्याओं कोमिला धर, रेनू लांबा, रोली सिन्हा, शिल्पा कत्याल, कविता अग्रवाल आदि ने भी राजीव खंडेलवाल से कई सवाल किए। चांदनी ग्रोवर ने अभिनेता के साथ ‘आंखों की गुस्ताखियां’ नामक एक इंटरैक्टिव गेम भी खेला।
स्पाइसी सुगर की संस्थापक पूनम सचदेवा ने बताया कि संस्था पिछले पांच वर्षों से बुद्धिमत्ता और मनोरंजन को साथ लेकर चल रही है। इस वर्ष की थीम भी बेहद खास रहने वाली है, जिसमें साहित्य, सिनेमा और समाज के विभिन्न पहलुओं को समर्पित आयोजन होंगे। उन्होंने बताया कि शहर की 150 से अधिक बुद्धिजीवी महिलाएं संस्था से जुड़ी हुई हैं।